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    Friday, November 22, 2024
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      सिलाव नगर पंचायत में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा, ट्रक-ट्रैक्टर से करायी पईन की खुदाई-उड़ाही !

      नालंदा दर्पण डेस्क। सिलाव नगर पंचायत में आरटीआई द्वारा व्याप्त भ्रष्टाचार का फिर एक बड़ा खुलासा हुआ है। ताजा मामला वार्ड संख्या-8 मितमा गांव से जुड़ा हुआ है, जहां पईन की खुदाई बिना कोई नियम का पालन किये हुए ही कराया गया है।

      भ्रष्टाचार 2न तो अंचल से योजना का सीमांकन कराया गया है और न ही वन विभाग से कोई अनापत्ति प्रमाण पत्र ही ली गयी है। एक ही कार्य योजना को दो खंडों में विभक्त कर बिना निविदा निकाले ही कनीय अभियंता के नाम से योजनाओं का क्रियान्वयन दिखाया गया है और लगभग 30 लाख रुपये सरकारी राशि की निकासी की गई है।

      आरटीआई कर्ता दिनकर की मानें तो इन योजनाओं को पूर्व में बोर्ड की बैठक में भी नही लिया गया था, बल्कि वर्तमान मुख्य पार्षद जयलक्ष्मी पदभार ग्रहण करने के तीसरे दिन ही पूर्व के योजना पंजी में छेड़छाड़ करते हुए उक्त योजना के अलावे और भी कई योजना को अवैध रूप से समायोजन किया है  और अपने परिवार को निजी लाभ पहुंचाने के उद्देश्य से इन योजनाओं को विना निविदा ही क्रियान्वयन करवाने का कार्य किया है।

      दिनकर का कहना है कि ग्राम मितमा में घोपटा होते हुए पीपर तक पईन उड़ाही के कार्य का कार्यादेश निर्गत 16 जनवरी 2023 को दिया गया है और मात्र 48 घंटे के भीतर ही 18 जनवरी 2023 को जेसीबी मशीन से पईन की खुदाई किया।

      भ्रष्टाचार 1

      उसका बिल भी (कुल 115.6 घंटे) का निर्गत किया गया है। इससे साफ जाहिर है कि इस कार्य में सरकारी राशि का किस प्रकार लूट की गई है। वहीं इस कार्य मे लगे जेसीवी मशीन का एक समय मे दो बार भुगतान किया गया

      है। सबसे बड़ा आश्चर्यजनक तथ्य है कि योजना में जिस जेसीवी मशीन का नम्बर बीआर 01 जीबी – 9321 दर्शाया है, वह एक ट्रक है। वहीं मुख्यपार्षद जयलक्ष्मी एवं लोक प्राधिकार के द्वारा बर्णित जेसीबी मशीन 21 बीआर0309 एवं बीआर2 1 जीबी – 9321 वास्तव में एक ट्रैक्टर है।

      प्राप्त आरटीआई दस्तावेज से प्रतीत होता है कि सशक्त अस्थायी समिति की बैठक दिनांक 21 दिसम्बर 2021 एवं सामान्य बोर्ड की बैठक दिनांक 12 फरबरी 2022 का प्रस्ताव संख्या क्रमश 12 एवं 22 जो कूटरचना कर घुसाया गया है। उसमें एक ही योजना का प्रस्ताव दिया गया है और एक ही योजना को अलग अलग योजना बनाकर सरकारी राशि का गबन मुख्यपार्षद जयलक्ष्मी एवं अन्य तत्कालीन अधिकारियों के द्वारा खुले तौर पर किया गया है।

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