Home खोज-खबर बिहार में रिकॉर्ड शिक्षक बहाली के बाबजूद पढ़ाई की गुणवत्ता बनी चुनौती

बिहार में रिकॉर्ड शिक्षक बहाली के बाबजूद पढ़ाई की गुणवत्ता बनी चुनौती

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Despite record teacher recruitment in Bihar, quality of education is still a challenge
Despite record teacher recruitment in Bihar, quality of education is still a challenge

बिहार में यह परिवर्तन शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि है, लेकिन इसे सार्थक बनाने के लिए शिक्षक और छात्रों की सहभागिता के साथ-साथ प्रशासनिक निगरानी को भी मजबूत करना होगा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सरकारी स्कूलों में पिछले दो दशकों (2005-2024) में शिक्षकों की संख्या में रिकॉर्ड बढ़ोतरी हुई है। जिससे विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में जबरदस्त सुधार देखने को मिला है। सीएम नीतीश कुमार के नेतृत्व में राज्य ने शिक्षा के क्षेत्र में नई इबारत लिखी है। 2005 में जहां विद्यार्थी-शिक्षक का अनुपात 65:1 था। अब यह घटकर 35:1 हो गया है, जोकि राष्ट्रीय औसत के बराबर है। हालांकि इस सुधार के बावजूद शिक्षा की गुणवत्ता और पठन-पाठन की स्थिति को लेकर चुनौतियां बरकरार हैं।

सीएम नीतीश कुमार ने राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा को प्राथमिकता दी और शिक्षकों की नियुक्ति प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया। 2023 से शिक्षक भर्ती परीक्षा का जिम्मा बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) को सौंपा गया। BPSC ने अब तक तीन चरणों में ढाई लाख से अधिक शिक्षकों की नियुक्ति की है।

पहला चरण (अक्टूबर 2023): सवा लाख शिक्षकों का चयन किया गया।

दूसरा चरण: 90 हजार से अधिक नये शिक्षकों की नियुक्ति की गई।

तीसरा चरण: 2024 तक अतिरिक्त नियुक्तियां जारी रहने की योजना है।

नवनियुक्त शिक्षकों की तैनाती मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में की गई है, जहां शिक्षक अनुपात की कमी पहले से ज्यादा थी। कुल चयनित शिक्षकों में से 50% महिलाएं हैं, जो लैंगिक समानता की दिशा में भी एक बड़ा कदम है।

भले ही राज्य ने विद्यार्थी-शिक्षक अनुपात में सुधार किया है, लेकिन सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता अब भी चिंता का विषय है। विशेषज्ञों का मानना है कि स्कूल अभी भी ‘मध्याह्न भोजन की पाठशाला’ की छवि से उबर नहीं पाए हैं।

पढ़ाई की गुणवत्ता: छात्रों की उपस्थिति और शिक्षकों की दक्षता पर लगातार सवाल उठते रहे हैं।

संरचनात्मक सुधार: शिक्षकों को सक्षमता परीक्षा पास कर सरकारी दर्जा देने की योजना बनाई गई है, जो शिक्षकों की दक्षता बढ़ाने में मदद कर सकती है।

2 नवंबर 2023 को पटना के गांधी मैदान में आयोजित नियुक्ति पत्र वितरण समारोह में सीएम ने घोषणा की कि सक्षमता परीक्षा पास करने वाले नियोजित शिक्षकों को सरकारी शिक्षक का दर्जा दिया जाएगा। उन्होंने शिक्षकों से आग्रह किया कि वे न केवल शिक्षा की पहुंच बढ़ाएं बल्कि इसकी गुणवत्ता में भी सुधार लाएं।

बिहार सरकार की यह पहल निश्चित रूप से राज्य में शिक्षा के बुनियादी ढांचे को मजबूत कर रही है। हालांकि पढ़ाई की गुणवत्ता, शिक्षकों का प्रशिक्षण और छात्रों की शैक्षणिक प्रगति को लेकर ठोस प्रयासों की आवश्यकता है। ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में डिजिटल शिक्षा और आधुनिक उपकरणों की उपलब्धता सुनिश्चित करना भी जरूरी है।

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