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    Wednesday, December 25, 2024
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      सरकारी स्कूलों में कंप्यूटर शिक्षकों के जी का जंजाल बना ई-शिक्षा कोष पोर्टल

      नालंदा दर्पण डेस्क / मुकेश भारतीय। इन दिनों समूचे नालंदा जिले के सरकारी स्कूलों में द्वारा ई-शिक्षा कोष पोर्टल कंप्यूटर शिक्षकों के लिए जी का जंजाल बन गया है। एक तरफ जहां बिहार शिक्षा विभाग द्वारा इस पोर्ट पर निर्धारित अवधि के भीतर कार्य संपन्न करने का निर्देश जारी किया है, वहीं पोर्टल की स्लो स्पीड, सर्वर क्रैश और लॉगिन संबंधित समस्याएं आम हो गई है।

      इस बात से इन्कार नहीं किया जा सकता है कि बिहार सरकार द्वारा विकसित ई-शिक्षा कोष पोर्टल का उद्देश्य शिक्षा को डिजिटल माध्यम से सुलभ बनाना है। इस पहल का मुख्य लक्ष्य छात्रों और शिक्षकों को एक समेकित मंच प्रदान करना है, जहाँ वे विभिन्न शैक्षिक सामग्री और संसाधनों तक आसानी से पहुँच सकें और हरेक विद्यार्थियों से जुड़े डाटा एक क्लिक पर उपलब्ध हो सके।

      लेकिन यहां तकनीकी दृष्टिकोण से ई-शिक्षा कोष पोर्टल में कई महत्वपूर्ण समस्याएँ आम देखी जा रही हैं। इन तकनीकी समस्याओं के कारण कंप्यूटर शिक्षकों के कार्य में बड़ी बाधा उत्पन्न कर रही है।

      उदाहरण के तौर पर कई बार अपलोड की गई सामग्री गायब हो जाती है या फिर उसे देखने में कठिनाई होती है। परिणामस्वरूप शिक्षकों को बार-बार सामग्री को पुनः अपलोड करना पड़ता है। जिससे उनका समय और श्रम व्यर्थ हो जाता है।

      ई-शिक्षा कोष पोर्टल की तकनीकी समस्याओं पर नजर डालें तो सबसे प्रमुख समस्याओं में से एक है वेबसाइट का बार-बार हैंग होना। यह समस्या उपयोगकर्ताओं के लिए काफी असुविधाजनक होती है। क्योंकि इससे उनकी कार्यक्षमता प्रभावित होती है।

      वेबसाइट के हैंग होने के पीछे सर्वर की क्षमता एक महत्वपूर्ण कारण है। यदि सर्वर की क्षमता अपर्याप्त है तो अधिक ट्रैफिक के समय वेबसाइट सही से काम नहीं कर पाती है, जिससे यह बार-बार हैंग हो जाती है।

      इसके अतिरिक्त सॉफ्टवेयर में बग्स भी एक बड़ी समस्या हो सकती है। सॉफ्टवेयर बग्स कोडिंग में त्रुटियों के कारण उत्पन्न होते हैं और ये वेबसाइट की कार्यक्षमता को प्रभावित करते हैं।

      बग्स के कारण डेटा एंट्री के दौरान एरर आना, फॉर्म सबमिशन में समस्या आना जैसी समस्याएँ सामने आ सकती हैं। इस प्रकार की समस्याओं को हल करने के लिए सॉफ्टवेयर अपडेट और बग फिक्सिंग आवश्यक होती है।

      हालांकि यहां कई स्कूलों या निर्धारित स्थान पर नेटवर्क की समस्याएँ भी एक महत्वपूर्ण पहलू हैं। जो ई-शिक्षा कोष पोर्टल की गति को प्रभावित करती हैं। धीमे नेटवर्क कनेक्शन के कारण वेबसाइट की लोडिंग टाइम बढ़ जाती है, जिससे उपयोगकर्ताओं को वेबसाइट का उपयोग करने में कठिनाई होती है।

      नेटवर्क की समस्याओं का समाधान करने के लिए नेटवर्क बैंडविड्थ को बढ़ाना और नेटवर्क इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करना आवश्यक है।

      इसमें कोई शक नहीं कि ई-शिक्षा कोष पोर्टल वेबसाइट की तकनीकी समस्याओं ने नालंदा जिले के सभी स्कूलों के कंप्यूटर शिक्षकों के लिए एक बड़ी चुनौती खड़ी कर दी है। इन समस्याओं के कारण उन्हें डेटा एंट्री और अन्य प्रशासनिक कार्यों में अत्यधिक समय व्यतीत करना पड़ रहा है।

      नतीजतन, उनके लिए अन्य शिक्षण गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करना कठिन होता जा रहा है। जब शिक्षक वेबसाइट पर डेटा एंट्री करने में लगे रहते हैं, तो वे छात्रों की पढ़ाई और उनके शैक्षिक विकास पर उतना ध्यान नहीं दे पाते हैं, जितना कि आवश्यक है।

      कंप्यूटर शिक्षकों के लिए यह स्थिति और भी चुनौतीपूर्ण बन जाती है, जब उन्हें तकनीकी समस्याओं के समाधान के लिए अतिरिक्त प्रयास करने पड़ते हैं। इससे उनमें मानसिक तनाव और काम के प्रति असंतोष की भावना उत्पन्न होती है। शिक्षकों की कार्यक्षमता में कमी आने से छात्रों की पढ़ाई पर भी विपरीत प्रभाव पड़ता है।

      समाधान और सुझावः

      नालंदा जिले में ई-शिक्षा कोष पोर्टल की समस्याओं को देखते हुए, सरकार को तुरंत और प्रभावी कदम उठाने की आवश्यकता है। सबसे पहले सर्वर की क्षमता बढ़ाने का प्रयास किया जाना चाहिए, ताकि अधिक उपयोगकर्ता एक साथ पोर्टल का उपयोग कर सकें। यह कदम ई-शिक्षा कोष पोर्टल की गति और उपयोगकर्ता अनुभव में सुधार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।

      सॉफ्टवेयर को नियमित रूप से अपडेट रखना भी एक महत्वपूर्ण उपाय है। इससे न केवल ई-शिक्षा कोष पोर्टल की सुरक्षा बढ़ेगी, बल्कि नई तकनीकों और सुविधाओं को भी आसानी से शामिल किया जा सकेगा। इसके अलावा, नेटवर्क की समस्याओं को हल करने के लिए स्थानीय इंटरनेट सेवा प्रदाताओं के साथ समन्वय किया जाना चाहिए ताकि कनेक्टिविटी से संबंधित दिक्कतें कम हो सकें।

      इसके अलावा विभागीय पदाधिकारियों को कंप्यूटर शिक्षकों को टारगेट देने से पहले उनसे ई-शिक्षा कोष पोर्टल को लेकर नियमित फीडबैक लिया जाना चाहिए ताकि पोर्टल की कार्यक्षमता और उपयोगिता में सुधार किया जा सके। यह फीडबैक पोर्टल के विभिन्न पहलुओं को समझने में मदद करेगा और आवश्यक सुधार किए जा सकेंगे।

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