नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार लोक सेवा आयोग (बीपीएससी) द्वारा सभी शिक्षक बहाली में रोज अजीबोगरीब फर्जीवाड़े सामने आ रहे हैं। अभी दूसरे राज्यों के शिक्षकों द्वारा आरक्षण लेने का मामला शांत नहीं हुआ था कि कंप्यूटर शिक्षकों का मामला सामने आ गया है।
अब वैसे कंप्यूटर शिक्षक, जो बिना पोस्ट ग्रेजुएट, बीटेक, बीटेक आईटी के ही सिर्फ डिप्लोमा और बीसीए की डिग्री पर शिक्षक बने हैं, उनके लिए खतरे की घंटी बज चुकी है। अगर वे जांच में पकड़े जाते हैं तो उनकी नौकरी चली जाएगी।
दरअसल हाईकोर्ट में इसे लेकर केस (सीडब्ल्यूजेसी नंबरः 874/24) दायर किया गया है। उसमें बताया गया है कि कुछ ऐसे कंप्यूटर शिक्षक बीपीएससी के दोनों चरणों में बहाल हो गए हैं, जिनके पास सिर्फ डिप्लोमा और बीसीए की डिग्री है।
इसके बाद शिक्षा विभाग द्वारा कोर्ट के न्यायादेश पर पूरे राज्य में कंप्यूटर शिक्षकों की शैक्षणिक फाइलों की जांच शुरू कर दी गई है। सभी जगहों पर दोनों चरणों में बहाल हुए कंप्यूटर शिक्षकों की फाइल मंगवाकर जांच की जा रही है।
भागलपुर जिला शिक्षा कार्यालय के स्थापना विभाग में जिले के सभी प्लस टू साइंस कंप्यूटर शिक्षकों की फाइलों की जांच शुरू हो गई। डीपीओ स्थापना खुद इसकी मानीटरिंग कर रहे हैं। जिस शिक्षक की फाइल थोड़ी भी शैक्षणिक योग्यता के मामले में ढीली दिख रही है, उस फाइल की गहनता पूर्वक जांच की जा रही है।
बता दें कि भागलपुर जिले में कंप्यूटर शिक्षक के लिए कुल 256 रिक्तियां थीं। उनमें से बीपीएससी के टीआरई-1 से 236 व टीआरई-2 से छह शिक्षकों की बहाली हुई थी। जबकि 14 सीटें खाली रह गई हैं।
वर्ष 2019 में हुई एसटीईटी परीक्षा से पहले की पीजी की होनी चाहिए डिग्रीः शिक्षा विभाग से कंप्यूटर से जुड़े जानकार ने बताया कि कंप्यूटर शिक्षकों के लिए बीएड अनिवार्य नहीं था।
लेकिन वैसे कंप्यूटर अभ्यर्थी जो डिप्लोमा सर्टिफिकेट, बैचलर ऑफ़ कंप्यूटर एप्लिकेशन, बैचलर आफ कंप्यूटर या बैचलर आफ़ इनफार्मेशन टेक्नोलाजी वाले थे, उनके लिए किसी भी विषय से स्नातकोत्तर की डिग्री होनी थी।
अब मामला यह उभर के सामने आया है कि प्रायः अभ्यर्थिंयों ने इसमे गड़बड़ी कर दी है। उन्होंने अपने स्नात्तकोत्तर सर्टिफिकेट या एसटीईटी के सर्टिफिकेट 2019 के बाद के लगा दिये हैं। अब विभाग इसकी नये सिरे से जांच शुरु कर दी है।
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