ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज मिलकर भी नहीं कर सकते नालंदा की बराबरी

नालंदा दर्पण डेस्क। भारत के उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने बिहार की सांस्कृतिक और शैक्षिक विरासत को विश्व के शीर्ष शिक्षण संस्थानों से कहीं ऊपर बताया है। उन्होंने कहा कि बिहार केवल एक भौगोलिक क्षेत्र नहीं, बल्कि भारत की आत्मा है। यहां बुद्ध, महावीर और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद जैसे महान व्यक्तित्वों की विरासत एक साथ सांस लेती है।
उपराष्ट्रपति ने जोर देकर कहा कि ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज जैसे विश्वविद्यालयों को एक साथ जोड़ दिया जाए, तब भी प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की बराबरी नहीं हो सकती।
मुजफ्फरपुर के ललित नारायण मिश्रा कॉलेज ऑफ बिजनेस मैनेजमेंट के स्थापना दिवस समारोह में अपने संबोधन में उपराष्ट्रपति धनखड़ ने बिहार की ऐतिहासिक और दार्शनिक महत्ता को रेखांकित किया।
उन्होंने कहा कि बिहार केवल एक राज्य नहीं है, यह भारत की आत्मा है। यह वह पवित्र धरती है, जहां बुद्ध और महावीर का बोध, चंपारण का प्रतिरोध और डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का संविधान निर्माण एक ही धरातल पर मिलते हैं। उन्होंने बिहार को भारत की दार्शनिक नींव का जन्मस्थल बताते हुए कहा कि यह भूमि प्राचीन काल से ही ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रही है।
उपराष्ट्रपति ने प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय की महानता को विशेष रूप से उजागर किया। उन्होंने कहा कि पांचवीं शताब्दी में नालंदा एक आवासीय विश्वविद्यालय था, जो न केवल भारत, बल्कि विश्व भर के विद्वानों के लिए ज्ञान का केंद्र था। चीन, कोरिया, जापान, तिब्बत और मध्य एशिया से लोग यहां ज्ञान अर्जन के लिए आते थे। नालंदा, विक्रमशिला और ओदांतपुरी जैसे संस्थान केवल शिक्षण केंद्र नहीं थे, बल्कि ये संपूर्ण सभ्यताएं थीं।
धनखड़ ने कहा कि आज भी ऑक्सफोर्ड, हार्वर्ड और कैम्ब्रिज को मिला लें तो भी नालंदा की बराबरी नहीं हो सकती। ये संस्थान हमें हमेशा प्रेरणा देते रहेंगे कि हम कहां थे और हमें कहां पहुंचना है।
उपराष्ट्रपति ने बिहार के सामाजिक न्याय में योगदान को भी रेखांकित किया। उन्होंने आपातकाल को भारतीय लोकतंत्र का सबसे काला अध्याय बताते हुए जयप्रकाश नारायण जैसे नेताओं की भूमिका को याद किया।
धनखड़ ने कहा कि हमें जयप्रकाश नारायण जैसे महानायकों को सदैव स्मरण रखना होगा, जिन्होंने लोकतंत्र की रक्षा के लिए संघर्ष किया।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि मंडल आयोग के लागू होने के दौरान वे केंद्र में मंत्री थे और अब, राज्यसभा के सभापति के रूप में कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित होते देखना उनके लिए गर्व का विषय है। सामाजिक न्याय की नींव में बिहार का योगदान अमिट है।
उपराष्ट्रपति ने बिहार के युवाओं से आह्वान किया कि वे अपनी समृद्ध विरासत से प्रेरणा लें और भविष्य में भारत को वैश्विक मंच पर और ऊंचाइयों तक ले जाएं। नालंदा और बिहार की विरासत हमें यह सिखाती है कि ज्ञान और संस्कृति के बल पर हम विश्व में नेतृत्व कर सकते हैं।









