चंडी (नालंदा दर्पण)। बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के गृह क्षेत्र नालंदा जिले में अनियमित विकास साफ दिखती है। एक तरफ जहां करोड़ों रुपए की फिजुलखर्जी की गई है, वहीं लोग विकास की अदद रौशनी को तरस रहे हैं।
एक ऐसा ही दिलचस्प मामला चंडी प्रखंड के तुलसीगढ़ पंचायत का महमदपुर गांव से सामने आया है। जहां पिछले 10 सालों से ग्रामीण ‘मुहाने नदी’ पर पुल की मांग कर रहे हैं, लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि या अफसर की कान में जूं तक नहीं रेंग रहा है। अब ग्रमीणों ने आसन्न लोगसभा चुनाव में इसे एक बड़ा मुद्दा बना डाला है और पुल नहीं तो वोट नहीं के नारे बुलंद कर रहे हैं।
ग्रामीण करते हैं कि महज के पुल के अभाव में उन्हें महमदपुर गांव पहुंचने के लिए चंडी इंजीनियरिंग कॉलेज से 6 किलोमीटर और नरसंडा नेशनल हाइवे रोड से 5 किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है।
वहीं स्कूल, अस्पताल, बैंक जैसे ज़रूरी स्थानों तक जाने के लिए उन्हें 8 किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है। इसकी जानकारी स्थानीय विधायक, सांसद, मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक की गई, लेकिन पिछले 10 साल से किसी भी स्तर से उनकी समस्या का समाधान नहीं किया जा सका।
अगर मुहाने नदी पर पुल बन जाए तो जलालपुर, रैठा, कोरूत, ढकनीय, मुबारकपुर समेत आसपास के आधे दर्जन गांवों के लोगों को तुलसीगढ़ जाने के लिए केवल 1 किलोमीटर का रास्ता तय करना होगा।
फिलहाल, कई गांवों की एक बड़ी आबादी इस समय आवागमन के लिए 15 साल पहले श्रमदान से बनाए गए चचरी पुल का इस्तेमाल कर रहे हैं। हालांकि प्रशासन ने मांग पर कई बार पुल निर्माण की पहल की, लेकिन वे सिर्फ कागजों पर ही सीमित रह गए। नतीजतन वे इस बार पुल नहीं तो वोट नहीं की मुद्रा में दिख रहे हैं।
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