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भूमि संकटः सरकारी स्कूल को लेकर सामने आया रोचक आकड़ा!

हिलसा (नालंदा दर्पण) नालंदा जिले में सरकारी स्कूलों में बच्चों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई है, जो शिक्षा के प्रति बढ़ती जागरूकता को दर्शाता है। हालांकि इस सकारात्मक बदलाव के बीच एक गंभीर समस्या उभरकर सामने आई है। जिले के 161 सरकारी स्कूलों के पास स्थायी भवन के लिए जमीन नहीं है।

कई स्कूल किराए के भवनों या अस्थायी व्यवस्थाओं में संचालित हो रहे हैं, जहां मूलभूत सुविधाओं जैसे शौचालय, पेयजल और उचित कक्षाओं का अभाव है। कुछ स्कूल तो खुले आसमान के नीचे, पेड़ों की छांव में या मंदिर और सामुदायिक भवनों में चल रहे हैं। जिससे बच्चों की पढ़ाई और शिक्षकों की कार्यक्षमता प्रभावित हो रही है।

जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने इन भूमिहीन स्कूलों को नजदीकी स्कूलों में स्थानांतरित करने की प्रक्रिया शुरू की है।

डीपीओ शाहनवाज के अनुसार सभी ब्लॉक शिक्षा अधिकारियों (बीईओ) को स्कूलों को स्थानांतरित करने और इसकी विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। संकुल समन्वयकों को यह सुनिश्चित करने का आदेश है कि कोई भी स्कूल खुले में, पेड़ के नीचे, या अस्थायी भवनों में संचालित न हो। यदि कोई स्कूल जर्जर हालत में पाया गया, तो संबंधित अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।

विभाग ने सभी प्रखंडों की एक विस्तृत सूची तैयार की है, जिसमें उन स्कूलों का उल्लेख है जिनके पास स्थायी भवन के लिए जमीन उपलब्ध नहीं है। डीईओ ने सभी प्रखंडों के सर्किल ऑफिसर (सीओ) को प्राथमिकता के आधार पर जमीन चिह्नित करने और शीघ्र कार्रवाई करने का निर्देश दिया है। बिहारशरीफ प्रखंड में सबसे अधिक 19 स्कूल भूमिहीन हैं, जो इस समस्या की गंभीरता को दर्शाता है।

नालंदा जिले के विभिन्न प्रखंडों में भूमिहीन स्कूलों की संख्या 161 हैं। जिनमें अस्थावां में 5 स्कूल, बेन में 4 स्कूल, बिहारशरीफ में 19 स्कूल, बिन्द में 12 स्कूल, चंडी में 10 स्कूल, एकंगरसराय में 7 स्कूल, गिरियक में 3 स्कूल, हरनौत में 6 स्कूल, हिलसा में 14 स्कूल, इसलामपुर में 12 स्कूल, करायपरसुराय में 7 स्कूल, कतरीसराय में 3 स्कूल, नगरनौसा में 4 स्कूल, नूरसराय में 17 स्कूल, परवलपुर में 2 स्कूल, रहुई में 14 स्कूल, राजगीर में 7 स्कूल, सरमेरा में 7 स्कूल, सिलाव में 7 स्कूल, थरथरी में 1 स्कूल, मर्जर और शिक्षा का अधिकार अधिनियम शामिल हैं।

जबकि मुफ्त एवं अनिवार्य शिक्षा अधिनियम 2009 के तहत शिक्षा विभाग ने 25 ऐसे स्कूलों का अस्तित्व समाप्त कर दिया है, जो भूमिहीन, भवनहीन, या साधनहीन थे। इन स्कूलों को एक किलोमीटर के दायरे में स्थित अन्य स्कूलों में मर्ज कर दिया गया है। यह कदम बच्चों को बेहतर सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से उठाया गया है। लेकिन मर्जर के बाद भी कई स्कूलों में संसाधनों की कमी और भीड़भाड़ की समस्या देखी जा रही है।

शिक्षा विभाग ने जिले के निवासियों से अपील की है कि वे बच्चों के भविष्य को ध्यान में रखते हुए स्कूलों के लिए दान के रूप में जमीन उपलब्ध कराएं। यदि सरकारी जमीन उपलब्ध नहीं हो पाती है तो निजी जमीन को दान के रूप में स्वीकार कर स्कूलों के लिए स्थायी भवन बनाए जाएंगे। यह कदम बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने में सहायक होगा।

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