राजगीर रोपवे से घोड़ाकटोरा झील जाने वाली सड़क की हालत देखिए!
राजगीर अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए विश्वविख्यात है। यहां पर्यटन क्षमता को बनाए रखने के लिए बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान देना होगा। घोड़ाकटोरा झील तक जाने वाली सड़क की मरम्मत न केवल पर्यटकों की सुविधा के लिए जरूरी है, बल्कि यह राजगीर के पर्यटन उद्योग और स्थानीय समुदाय के भविष्य के लिए भी महत्वपूर्ण है...

राजगीर (नालंदा दर्पण)। पर्यटन के लिए प्रसिद्ध बिहार का ऐतिहासिक शहर राजगीर इन दिनों अपनी प्राकृतिक सुंदरता और आध्यात्मिक महत्व के लिए चर्चा में है। लेकिन रोपवे परिसर से घोड़ाकटोरा झील तक जाने वाली सड़क की बदहाल स्थिति पर्यटकों के लिए परेशानी का सबब बन रही है। यह सड़क कभी पर्यटकों को झील के शांत और मनोरम दृश्यों तक आसानी से पहुंचाती थी। अब गड्ढों और उखड़ी गिट्टियों के कारण असमान और कष्टदायक हो चुकी है।
बता दें कि घोड़ाकटोरा झील अपनी शीतल जलराशि और चारों ओर हरियाली से पर्यटकों को आकर्षित करती है। इन दिनों बोटिंग के लिए विशेष रूप से लोकप्रिय हो रही है। देश-विदेश से सैलानी इस झील की सैर और भगवान बुद्ध की विशाल प्रतिमा के साथ सेल्फी लेने के लिए राजगीर पहुंच रहे हैं। लेकिन जर्जर सड़क के कारण उनकी यात्रा हिचकोलों भरी और असहज हो रही है। पर्यटकों का कहना है कि इस मार्ग पर चलना न केवल थकाऊ है, बल्कि वाहनों के लिए भी जोखिम भरा है।
स्थानीय निवासी और टमटम यूनियन तथा अनुदानित ई-रिक्शा यूनियन के चेयरमैन अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि यह सड़क लंबे समय से उपेक्षा का शिकार है। उन्होंने कहा कि हमने कई बार पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के अधिकारियों और मंत्री का ध्यान इस समस्या की ओर आकर्षित किया गया, लेकिन अब तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया।
अधिवक्ता सिंह ने चेतावनी दी कि बारिश का मौसम शुरू होने पर यह समस्या और गंभीर हो सकती है। कीचड़ और गड्ढों से भरी सड़क पर चलना लगभग असंभव हो जाएगा। हालांकि कुछ स्थानों पर ह्यूम पाइप डालने का कार्य शुरू किया गया है, लेकिन इसकी गति इतनी धीमी है कि पर्यटकों को तत्काल राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
यह मार्ग वन विभाग के अधीन आता है, लेकिन विभागीय उदासीनता के कारण स्थिति दिन-प्रतिदिन बदतर होती जा रही है। स्थानीय लोगों का कहना है कि घोड़ाकटोरा झील राजगीर का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है, जो न केवल प्राकृतिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है, बल्कि भगवान बुद्ध से जुड़े ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व के कारण भी आकर्षण का केंद्र है। लेकिन सड़क की इस हालत के कारण पर्यटकों का अनुभव खराब हो रहा है, जो राजगीर की पर्यटन छवि को नुकसान पहुंचा सकता है।
स्थानीय व्यापारियों और निवासियों का मानना है कि यदि इस सड़क की मरम्मत और पुनर्निर्माण में देरी हुई तो पर्यटकों की संख्या में कमी आ सकती है। इससे न केवल सरकारी राजस्व को नुकसान होगा, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था, जो काफी हद तक पर्यटन पर निर्भर है, भी प्रभावित होगी। बोटिंग, ई-रिक्शा और टमटम चालकों की आजीविका भी इस सड़क की स्थिति से सीधे तौर पर जुड़ी है।
पर्यटकों और स्थानीय लोगों ने पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग से इस दिशा में तत्काल कदम उठाने की मांग की है। अधिवक्ता मनोज कुमार सिंह ने कहा कि घोड़ाकटोरा झील राजगीर का गौरव है। इसे बचाने और पर्यटकों के लिए सुगम बनाने के लिए सड़क का पुनर्निर्माण जरूरी है। हम सरकार से अपील करते हैं कि इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जाए।