इसलामपुर (नालंदा दर्पण)। आज हम आपको बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में एक ऐसे विद्यालय का दर्शन कराने जा रहे हैं, जिस विद्यालय की एक छात्र ने हालिया घोषित बिहार विद्यालय समिति की माध्यमिक परीक्षा में टॉप टेन के अंदर उपलब्धि से गौरवान्वित किया है। लेकिन आप जब इस विद्यालय भवन की तस्वीरें देखेंगे तो चौंक जाएंगे कि आखिर यहाँ पठन-पाठन कहाँ होता होगा। शिक्षक कहाँ पढ़ाते हैं। बच्चे कहाँ पढ़ते हैं। अगर सबकुछ कागज पर ही चल रहा है तो क्या बिहार बोर्ड की परीक्षा में छठवां स्थान करने वाला छात्र को इस विद्यालय से कैसे अप्रत्याशित सफलता हासिल हो गई।
यह विद्यालय इसलामपुर प्रखंड के संडा पंचायत अंतर्गत दमड़िया विगहा गांव के पास वितरहित आनुदानित विद्यालय राम परीखा सिंह यादव मेमोरियल उच्च विद्यालय मोबारकपुर है। इस बार मैट्रिक की परीक्षा में इसी विद्यालय के छात्र कृष्णा कुमार ने पूरे बिहार सूबे में छठवीं रैंक प्राप्त किया है। एक तरह से यह विद्यालय कागज पर चल रहा है।
बिल्कुल छत विक्षत सभी कमरों में गंदगी, कांटा झाड़ी समेत कीड़े मकोड़ों का शरणस्थली बना है। ‘दीवार पर धात रोगी मिले हर शनिवार’ लिखा है। फिर भी इस विद्यालय के छात्र कृष्णा कुमार 480 अंक लाकर पूरे बिहार राज्य में छठवां रैंक प्राप्त किया है। कृष्णा कुमार गिरीयक थाना के तारापुर गांव निवासी द्वारिका प्रसाद का पुत्र बताया जाता है।
बहरहाल, इसलामपुर प्रखंड क्षेत्र से सुदूर गिरियक सरीखे दूसरे प्रखंड के छात्र ने इस वितरहित आनुदानित विद्यालय राम परीखा सिंह यादव मेमोरियल उच्च विद्यालय मोबारकपुर का नाम रौशन किया हो, लेकिन ऐसे स्कूल के नाम पर जो गोरखधंधा चल रहा है और माध्यमिक शिक्षा व्यवस्था की पोल खोल रहा है, वह बड़ी शर्म की बात है। लेकिन सबाल उठता है कि शर्मसार कौन होगा? सूबे की मैट्रिक परीक्षा में छठवां स्थान लाने वाला छात्र कृष्णा कुमार, विद्यालय के शिक्षककर्मी, जिनका खर्चा पानी परीक्षा शुल्क आदि से चल रहा है, या अफसर-जनप्रतिधि जो इस फर्जीबाड़े में शामिल हैं, या फिर बिहार के सीएम नीतीश कुमार, जिनके 15 साल के शासन काल में शिक्षा का बेड़ा गर्क जारी है?
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