राजीगर (नालंदा दर्पण)। राजगीर जवाहर नवोदय विद्यालय में संचालित नेशनल ट्रेकिंग कैंप (National Trekking Camp) के तहत एनसीसी कैडेटों ने न केवल प्राकृतिक सौंदर्य का अनुभव किया, बल्कि ऐतिहासिक धरोहरों और महान विभूतियों के योगदान से भी रूबरू हुए। कैडेटों ने भ्रमण के दौरान प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय और विश्व प्रसिद्ध बौद्ध आचार्य ह्वेनसांग के स्मारक का दर्शन किया, जो 7वीं शताब्दी में भारत की यात्रा कर बौद्ध धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभा चुके हैं।
ले. कर्नल प्रदीप तक्षक ने कैडेटों को ह्वेनसांग की महत्वपूर्ण कृतियों के बारे में जानकारी दी। जिन्होंने नालंदा विश्वविद्यालय से ज्ञान अर्जित कर इसे पूरी दुनिया में फैलाया। इसके अलावा कैडेटों की एक अन्य टीम ने राजगीर स्थित विश्व शांति स्तूप का भी अवलोकन किया।
ले. कर्नल अजय कुमार ने शांति स्तूप के महत्व को विस्तार से समझाते हुए बताया कि यह स्तूप चारों दिशाओं में बुद्ध की प्रतिमाओं से सुसज्जित है, जो विश्व शांति और भाईचारे का संदेश देती हैं। इस स्तूप का निर्माण तिब्बती बौद्ध धर्म के अनुयायी निचिदात्सु फुजी गुरुजी द्वारा कराया गया था, जिसे आज भी श्रद्धा के साथ देखा जाता है।
कैम्प के दौरान कैडेटों के बीच खेलकूद और सांस्कृतिक प्रतिस्पर्धाओं का भी आयोजन किया गया। जिसमें वॉलीबॉल, रस्साकस्सी और पेंटिंग जैसी प्रतियोगिताओं ने भाग लिया। वॉलीबॉल मुकाबले में बिहार-झारखंड की टीम ने उत्तर प्रदेश की टीम को और उत्तर-पूर्वी राज्यों की टीम ने पश्चिम बंगाल की टीम को हराया। इन प्रतियोगिताओं का उद्देश्य कैडेटों में प्रतिस्पर्धात्मक भावना का विकास करना था।
कैम्प के उत्साहवर्धन के लिए बिहार सरकार के ग्रामीण विकास मंत्री श्रवण कुमार और नालंदा के सांसद कौशलेन्द्र कुमार ने भी कार्यक्रम में शिरकत की। उन्होंने कैडेटों को संबोधित करते हुए पर्यावरण और वन संरक्षण के महत्व पर जोर दिया और उन्हें धरोहरों का अवलोकन कर ज्ञानार्जन करने के लिए प्रेरित किया।
कैम्प कमांडेंट राजेश बाहरी ने अतिथियों का स्वागत पुष्प गुच्छ देकर किया और उनके सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया। कैम्प के सफल आयोजन के लिए सूबेदार मेजर ललिंद्र तिग्गा, सूबेदार रूपेश गुरुंग, जेसीओ सूबेदार मान सिंह और अन्य एनसीसी पदाधिकारियों का योगदान भी सराहनीय रहा।
आगामी दिनों में सांस्कृतिक कार्यक्रम और क्विज प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाएगा। जिससे कैडेटों को न केवल शारीरिक बल्कि मानसिक रूप से भी सशक्त किया जा सके। यह ट्रेकिंग कैंप न केवल कैडेटों के शारीरिक विकास, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और ऐतिहासिक धरोहरों के प्रति समझ को भी समृद्ध कर रहा है, जो उनके सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देगा।