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अब सभी HM को MDM की रोजाना रिपोर्ट केंद्र सरकार को भेजने का आदेश

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार के सभी प्राथमिक और मध्य विद्यालयों में मध्याह्न भोजन (मिड-डे मील) योजना की अब हर दिन ऑनलाइन निगरानी की जाएगी। 15 नवंबर से राज्य के सभी स्कूलों में यह सुनिश्चित किया गया है कि कितने बच्चों ने मिड-डे मील (MDM) किया। इसकी जानकारी प्रतिदिन भारत सरकार को भेजी जाएगी। इसके लिए शिक्षा विभाग ने ‘इ-शिक्षा कोष’ नामक एक एंड्रॉयड आधारित एप्लीकेशन विकसित किया है, जिस पर यह रिपोर्ट अपलोड की जाएगी।

रोजाना रिपोर्ट दर्ज करने का निर्देशः बिहार के मध्याह्न भोजन निदेशक ने सभी जिला कार्यक्रम पदाधिकारियों को पत्र जारी कर स्पष्ट निर्देश दिया है कि हर स्कूल के प्रधानाध्यापक इस एप पर प्रतिदिन आंकड़े अपलोड करेंगे। इसके बाद ही भारत सरकार को ये रिपोर्ट भेजी जाएगी। इस व्यवस्था का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राज्य में मध्याह्न भोजन योजना सही ढंग से संचालित हो और सरकार के पास वास्तविक आंकड़े पहुंचें।

90 प्रतिशत से अधिक प्रतिवेदन अनिवार्यः भारत सरकार ने आदेश दिया है कि सभी जिलों से कम से कम 90 प्रतिशत स्कूलों की रिपोर्ट प्रतिदिन प्राप्त होनी चाहिए। इसके तहत, अब तक मिड-डे मील की निगरानी के लिए उपयोग किए जा रहे IVRS सिस्टम की अवधि को समाप्त कर दिया गया है। अब केवल इ-शिक्षा कोष एप पर ही डेटा अपलोड होगा।

एंड्रॉयड और टैब बेस्ड एप्लीकेशन की विशेषताः शिक्षा विभाग द्वारा विकसित इस एंड्रॉयड और टैब बेस्ड एप पर प्रधानाध्यापक रोजाना मध्याह्न भोजन से लाभान्वित बच्चों की संख्या, भोजन न करने के कारण खाद्यान्न की उपलब्धता और वेंडर द्वारा खरीदी गई सामग्री की जानकारी साझा करेंगे। इस एप की एक खासियत यह है कि इसमें प्रधानाध्यापकों द्वारा अपलोड किए गए आंकड़े जिला और प्रखंड स्तर पर भी देखे जा सकेंगे। इससे अधिकारियों को योजना की निगरानी में आसानी होगी।

योजना की पारदर्शिता और कार्यक्षमता पर जोरः शिक्षा विभाग के अनुसार इस नई प्रणाली से योजना की पारदर्शिता और कार्यक्षमता में वृद्धि होगी। मध्याह्न भोजन योजना देशभर में गरीब और कमजोर वर्ग के बच्चों के पोषण को सुनिश्चित करने के लिए चल रही है और इस तरह की सख्त निगरानी से योजना का दायरा और प्रभावी होगा।

अब देखना है कि इस नई प्रणाली से शिक्षा विभाग योजना की निगरानी को कितनी प्रभावी तरीके से लागू कर पाता है और यह कितना मददगार साबित होता है।

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