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अब रैयतों को इस पुस्तिका से कैथी लिपि के जमीन दस्तावेज पढ़ना होगा आसान

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Now it will be easy for the peasants to read land documents in Kaithi script from this booklet
Now it will be easy for the peasants to read land documents in Kaithi script from this booklet

“इस पुस्तिका का उद्देश्य कैथी लिपि को सरलता से समझाने के साथ-साथ रैयतों को आत्मनिर्भर बनाना है। इससे वे अपने जमीन संबंधी दस्तावेज़ों को स्वयं पढ़ और समझ सकेंगे…”

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में जमीन के पुराने दस्तावेजों को पढ़ने में आ रही कठिनाइयों का समाधान अब आसान हो गया है। राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के मंत्री डॉ. दिलीप जायसवाल ने एक विशेष पुस्तिका का अनावरण किया है, जो जमीन के कैथी लिपि में लिखे दस्तावेजों को समझने में मदद करेगी। यह पुस्तिका अब विभागीय वेबसाइट पर भी उपलब्ध है। इससे राज्य के लाखों रैयतों को लाभ होगा।

क्या है कैथी लिपि और इससे जुड़ी समस्याः कैथी लिपि एक प्राचीन समय में दस्तावेज़ लेखन के लिए उपयोग की जाती थी, अब आम लोगों और सर्वे कर्मियों के लिए समझना चुनौतीपूर्ण हो गया है। वर्तमान विशेष सर्वेक्षण के दौरान जमीन से जुड़े पुराने दस्तावेज़ों को कैथी लिपि पढ़ने में यह एक बड़ी बाधा साबित हो रही थी। कई रैयत निजी व्यक्तियों या पूर्व सरकारी कर्मियों की मदद लेते थे, जो कई बार उनसे अतिरिक्त राशि वसूलते थे।

पुस्तिका का उद्देश्य और लाभः इस पुस्तिका का उद्देश्य कैथी लिपि को सरलता से समझाने के साथ-साथ रैयतों को आत्मनिर्भर बनाना है। इससे वे अपने जमीन संबंधी दस्तावेज़ों को स्वयं पढ़ और समझ सकेंगे। मंत्री जायसवाल ने बताया कि इस पहल से न केवल दस्तावेज़ों की पारदर्शिता बढ़ेगी, बल्कि धोखाधड़ी की घटनाओं में भी कमी आएगी।

विशेषज्ञों की मदद और प्रशिक्षण कार्यक्रमः पुस्तिका को तैयार करने के लिए बनारस हिंदू विश्वविद्यालय के शोध छात्र प्रीतम कुमार की विशेषज्ञता ली गई है। इसके अलावा विभाग ने सात जिलों के विशेष सर्वेक्षण कर्मियों को तीन दिवसीय प्रशिक्षण भी प्रदान किया है। इस कार्यक्रम में उन्हें कैथी लिपि पढ़ने और दस्तावेज़ों को हिंदी में अनुवादित करने की प्रक्रिया सिखाई गई।

रैयतों को कैसे मिलेगा लाभः अब कैथी लिपि में लिखे दस्तावेज़ों को पढ़ने के लिए रैयतों को किसी पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा। इस पुस्तिका की मदद से वे स्वयं अपने दस्तावेजों का अवलोकन कर सकेंगे। यह पहल राज्य के लाखों लोगों को उनके जमीन के स्वामित्व का निर्धारण करने में मदद करेगी, जिससे भूमि विवादों में कमी आने की संभावना है।

विभाग की नई पहल से बढ़ेगा भरोसाः राजस्व विभाग की यह पहल न केवल जमीन सर्वेक्षण को सरल बनाएगी, बल्कि विभाग के प्रति रैयतों का विश्वास भी बढ़ाएगी। यह कदम बिहार के डिजिटलाइजेशन और भूमि सुधार की दिशा में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

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