बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के सभी प्रारंभिक विद्यालयों में शिक्षा सेवकों की उपस्थिति अब ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज की जाएगी। यह कदम शिक्षा विभाग की एक नई पहल है। इसका उद्देश्य शिक्षा सेवकों की उपस्थिति को पारदर्शी बनाना और मानदेय के वितरण को सुचारू बनाना बताया जाता है। जन शिक्षा सह अपर सचिव शिक्षा विभाग से प्राप्त निर्देश के आधार पर जिले के सभी प्रधानाध्यापकों को इस जिम्मेदारी सौंपी गई है।
बीते शनिवार को इस व्यवस्था के मॉक ट्रायल के रूप में जिले के सभी विद्यालयों में शिक्षा सेवकों की उपस्थिति को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज किया गया है। इसका उद्देश्य यह था कि विद्यालय प्रबंधन और प्रधानाध्यापक पोर्टल के साथ पूरी तरह से परिचित हो सकें और किसी भी प्रकार की तकनीकी कठिनाइयों को समय रहते सुलझाया जा सके।
जिला शिक्षा पदाधिकारी के अनुसार आगामी 1 दिसंबर, 2024 से यह नियम पूरे जिले में लागू हो जाएगा, जिससे सभी शिक्षा सेवकों की उपस्थिति डिजिटल माध्यम से दर्ज होगी और इसके आधार पर उनका मानदेय निर्धारित किया जाएगा।
यह प्रणाली विशेष रूप से महादलित, दलित, अल्पसंख्यक एवं अति पिछड़ा वर्ग के तहत काम करने वाले अक्षर आंचल योजना के शिक्षा सेवकों और शिक्षा सेवक (तालीमी मरकज) के लिए लागू की गई है। प्रधानाध्यापकों को यह सुनिश्चित करना होगा कि सभी शिक्षा सेवकों की उपस्थिति सही समय पर ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर दर्ज हो। 1 दिसंबर, 2024 से यह उपस्थिति ही मानदेय वितरण का आधार बनेगी।
इस नई व्यवस्था का उद्देश्य शिक्षा सेवकों के मानदेय वितरण में पारदर्शिता लाना है, जिससे किसी भी प्रकार की गड़बड़ी या देरी से बचा जा सके। अब शिक्षा सेवकों को अपनी उपस्थिति की चिंता नहीं करनी होगी। क्योंकि उनकी उपस्थिति सीधे पोर्टल पर दर्ज होने से यह प्रमाणिक हो जाएगी। इसके अलावा पोर्टल पर उपस्थिति दर्ज होने से विभाग भी समय पर मानदेय का भुगतान कर सकेगा।
जिला कार्यक्रम पदाधिकारी ने सभी प्रारंभिक विद्यालयों के प्रधानाध्यापकों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि 1 दिसंबर, 2024 से पहले मॉक ट्रायल के तहत सभी विद्यालयों में यह प्रक्रिया सुचारू रूप से पूरी की जाए। इसके बाद 1 दिसंबर, 2024 से यह प्रक्रिया नियमित रूप से चलने लगेगी। सभी विद्यालयों के प्रधानाध्यापक शिक्षा सेवकों की उपस्थिति को ई-शिक्षा कोष पोर्टल पर नियमित रूप से अपडेट करेंगे।
ई-शिक्षा कोष पोर्टल के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने की इस नई प्रक्रिया को नालंदा जिले के लिए एक महत्वपूर्ण कदम के रूप में देखा जा रहा है। इससे न केवल उपस्थिति दर्ज करने में पारदर्शिता आएगी, बल्कि शिक्षा सेवकों और प्रशासनिक तंत्र के बीच डिजिटल समन्वय भी मजबूत होगा। यह प्रक्रिया शिक्षा प्रणाली में डिजिटल क्रांति की ओर एक और कदम है, जो भविष्य में शिक्षा सेवाओं को और अधिक व्यवस्थित और पारदर्शी बनाएगी।
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