बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। परंपरागत बुनकरी के दम पर देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित नालंदा के एकलौते कपिलदेव प्रसाद ने आज दुनिया को अलविदा कह दिया। वे 71 वर्ष के थे। वे हृदय रोग से पीड़ित थे। आज पटना के एक निजी अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। वे नालंदा के बसवन बिगहा गांव के रहने वाले थे।
मौत की खबर मिलते ही पूरे नालंदा में शोक की लहर दौड़ गई। नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार प्रखंड विकास पदाधिकारी अंजन दत्ता समेत कई पार्टियों के नेता उनके पैतृक गांव पहुंचकर परिजनों से मिल उन्हें सांत्वना दिया।
मौके पर नालंदा सांसद कौशलेंद्र कुमार ने कहा कि वर्ष 2023 के अप्रैल महीने में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने उन्हें नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन के दरबार हाल में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्मश्री से सम्मानित किया था। कपिलदेव बाबू की इस उपलब्धि से बावन बूटी डिजाइन की राष्ट्रव्यापी पहचान और प्रतिष्ठा बढ़ गई थी।
वहीं पद्मश्री से सम्मानित कपिल देव प्रसाद के निधन पर अस्थावां विधायक डॉ. जितेंद्र कुमार ने गहरी शोक संवेदना किया प्रकट। दिवंगत आत्मा की शांति एवं उनके परिजनों को दुःख की इस घड़ी में धैर्य धारण करने की शक्ति प्रदान करने की ईश्वर से प्रार्थना की।
बता दें कि बिहार में नालंदा जिला मुख्यालय बिहार शरीफ से सटे पूरब बसवन बिगहा में कपिल देव प्रसाद का जन्म पांच अगस्त 1955 को हुआ था। उनकी माता जी का नाम फुलेश्वरी देवी था।
श्री प्रसाद ने दस साल की अवस्था से ही हैंडलूम की साड़ी में बावन बूटी डालनी शुरू कर दी थी। पांच साल में हुनर में इतना निखार आ गया कि उनके द्वारा बुनी हुई साड़ियां लोगों को काफी पसंद आने लगी और जिसकी चर्चा बुनकर समाज में होने लगी।
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