“इस मामले ने प्रशासनिक निष्क्रियता और कानून की अवमानना को उजागर किया है। अवमानना वाद दायर होने के बाद हाई कोर्ट और सरकार इस मामले में क्या रुख अपनाती हैं। क्या पावा गांव की सरकारी जमीन अतिक्रमण मुक्त होगी या प्रशासनिक लापरवाही का यह सिलसिला अनवरत चलता रहेगा…?
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री दिलीप कुमार जायसवाल की घोषणाओं ने रैयतों को राहत की उम्मीद जरूर दी है, लेकिन स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों की स्वेच्छाचारिता इन उम्मीदों पर पानी फेर रही है। नालंदा जिले के बिहारशरीफ अंचलाधिकारी (CO) प्रभात रंजन पर पटना हाई कोर्ट के स्पष्ट आदेश का अनुपालन न करने का आरोप लगा है।
मामला बिहारशरीफ अंचल के पावा गांव से जुड़ा है। जहां सरकारी जमीन पर अतिक्रमण की शिकायतें सामने आई हैं। यह भूमि मौजा पावा के अंतर्गत आती है और इसे गैरमजरुआ आम संपत्ति घोषित किया गया है। इसमें प्लॉट नंबर 1900, 2750, 2752, 2753, और 2756 शामिल हैं, जिनका कुल रकबा लगभग 1.1 एकड़ है।
पावा गांव निवासी विशाल शंकर ने इस सरकारी भूमि को अतिक्रमण मुक्त कराने के लिए पटना हाई कोर्ट में CWJC संख्या 6986/2024 दायर की थी। 11 जुलाई 2024 को न्यायाधीश मोहित कुमार शाह ने अंचल अधिकारी को आदेश दिया कि वे छह सप्ताह के भीतर जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराएं।
हालांकि हाई कोर्ट के आदेश के छह सप्ताह तो दूर छह माह बीत चुके हैं, लेकिन अभी तक अतिक्रमण हटाने की कोई कार्रवाई नहीं हुई है। जबकि याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के आदेश और सभी आवश्यक दस्तावेज अंचल अधिकारी को समय पर उपलब्ध करा दिए थे। फिर भी सीओ प्रभात रंजन ने इस मामले में कोई पहल नहीं की।
याचिकाकर्ता विशाल शंकर अब कोर्ट में अवमानना वाद दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने इसके पहले जिलाधिकारी शशांक शुभंकर को आवेदन देकर जमीन को अतिक्रमण मुक्त कराने की गुहार लगाई है।
इस मामले में बिहार प्रदेश किसान कांग्रेस के उपाध्यक्ष राजीव कुमार मुन्ना ने भी गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि पावा मौजा के राजस्व कर्मचारी राम स्नेही साह पर गलत दाखिल-खारिज के लिए प्राथमिकी दर्ज होने के बावजूद सीओ प्रभात रंजन ने उनके खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई नहीं की। इससे साफ होता है कि सीओ की कार्यशैली सुशासन और कानून के राज के खिलाफ है।
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