बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के रहुई थाना क्षेत्र के कथौली गांव में स्थित प्राचीन भोला स्थान मंदिर में बीती रात एक सनसनीखेज चोरी की घटना ने स्थानीय लोगों को स्तब्ध कर दिया है। चोरों ने मंदिर से लगभग 100 वर्ष पुरानी पौराणिक शिवलिंग और नंदी की मूर्ति चुरा ली। यह घटना बीती देर रात की बताई जा रही है। जिसके बाद अहले सुबह श्रद्धालुओं में आक्रोश फैल गया।
कहते हैं कि सुबह जब भक्त नित्य पूजा-अर्चना के लिए मंदिर पहुंचे तो उन्हें मंदिर का दृश्य देखकर गहरा धक्का लगा। मंदिर में स्थापित शिवलिंग और नंदी की प्रतिमा गायब थीं। इतना ही नहीं चोरों ने मंदिर में रखी अन्य मूर्तियों को भी क्षतिग्रस्त करने की कोशिश की थी। ग्रामीणों का कहना है कि ये मूर्तियां उनके गांव की अमूल्य धरोहर थीं। जिनकी पूजा उनके पूर्वज पीढ़ियों से करते आ रहे थे।
एक ग्रामीण ने गुस्से में कहा, “यह सिर्फ चोरी नहीं, बल्कि हमारी आस्था पर सीधा हमला है। रात 10 बजे तक हम लोग मंदिर परिसर में थे, लेकिन 12 बजे के बाद यह घटना हुई। इन मूर्तियों की कीमत लाखों रुपये में थी।”
घटना की जानकारी मिलते ही रहुई थाना की पुलिस और सदर डीएसपी-2 संजय जायसवाल मौके पर पहुंचे। पुलिस ने मंदिर परिसर का बारीकी से निरीक्षण किया और आसपास के लोगों से पूछताछ शुरू की। ग्रामीणों ने बताया कि मंदिर में कोई सुरक्षा व्यवस्था नहीं थी। जिसका फायदा चोरों ने उठाया। कुछ लोगों ने आशंका जताई कि यह किसी संगठित गिरोह का काम हो सकता है, जो प्राचीन मूर्तियों की तस्करी में शामिल हो।
सदर डीएसपी-2 संजय जायसवाल ने कहा, “प्रथम दृष्टया यह किसी बदमाश गिरोह का कारनामा प्रतीत होता है। हम सभी पहलुओं की जांच कर रहे हैं। मंदिर के आसपास के इलाकों में लगे सीसीटीवी फुटेज खंगाले जा रहे हैं और संदिग्धों की तलाश की जा रही है। जल्द ही चोरों को पकड़ लिया जाएगा।”
पुलिस ने यह भी आशंका जताई कि चोरों ने पहले मंदिर की रेकी की होगी। क्योंकि घटना को अंजाम देने में सुनियोजित तरीका अपनाया गया।
इस घटना ने कथौली गांव सहित आसपास के इलाकों में सनसनी फैला दी है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मंदिर की सुरक्षा के लिए ठोस कदम उठाने और चोरी गई मूर्तियों को जल्द से जल्द बरामद करने की मांग की है। कुछ लोगों ने मंदिर में चौकीदार की नियुक्ति और सीसीटीवी कैमरे लगाने की भी मांग उठाई है।
फिलहाल पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है और जांच तेज कर दी गई है। इस घटना ने एक बार फिर प्राचीन धरोहरों की सुरक्षा को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं। स्थानीय लोग इस उम्मीद में हैं कि उनकी आस्था के प्रतीक जल्द ही वापस लौट आएंगे।
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