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    Tuesday, April 29, 2025
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      राजगीर वन क्षेत्र में 4 विशेष टीम गठित, बनाई 40 किमी लंबी फायरलाइन

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। इस वर्ष फरवरी माह से ही बिहार के राजगीर वन क्षेत्र में अगलगी की घटनाएं शुरू हो गई हैं। जंगल में सूखे बांस और साल के पत्ते आग के लिए ईंधन का काम करते हैं, जो वन की प्राकृतिक पारिस्थितिकी में एक स्वाभाविक चक्र के रूप में देखा जाता है। इन घटनाओं से वन्यजीवों और प्राकृतिक संपदा को होने वाले नुकसान को रोकने के लिए नालंदा वन प्रमंडल ने कड़े कदम उठाए हैं। वन विभाग ने राजगीर में आग की बढ़ती घटनाओं पर नजर रखने और उन्हें नियंत्रित करने के लिए चार विशेष टीमों का गठन किया है। इन टीमों ने अब तक 19 अग्निकांडों को सफलतापूर्वक नियंत्रित किया है।

      नालंदा वन प्रमंडल के डीएफओ (वन संरक्षक) राजकुमार एम के अनुसार आग से निपटने के लिए सभी जरूरी उपकरणों की खरीदारी पूरी कर ली गई है। इसके साथ ही वन कर्मियों को प्रभावी प्रशिक्षण दिया गया है। ताकि वे आपात स्थिति में त्वरित और कुशलता से कार्रवाई कर सकें। आग के फैलाव को रोकने के लिए 40 किलोमीटर से अधिक लंबी फायरलाइन (आग रोकने वाली दीवारें) बनाई गई हैं। यह फायरलाइन आग को एक सीमित दायरे में रोकने में कारगर साबित हो रही है। जिससे वन्यजीवों और वन संपदा की सुरक्षा सुनिश्चित हो रही है।

      इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र के प्रमुख स्थानों पर वॉच टावर स्थापित किए गए हैं। जहां से वन कर्मी आग की घटनाओं पर लगातार नजर रख रहे हैं। संचार को तेज और प्रभावी बनाने के लिए सभी चार टीमों को 20 वायरलेस हैंडसेट उपलब्ध कराए गए हैं। इन हैंडसेट्स के जरिए टीमें आपस में निरंतर संपर्क में रहती हैं। जिससे घटना स्थल पर तुरंत पहुंचकर आग को नियंत्रित करना संभव हो पा रहा है।

      डीएफओ ने कहा, ‘हमारा उद्देश्य न केवल आग की घटनाओं को नियंत्रित करना है, बल्कि राजगीर के प्राकृतिक संसाधनों और जैव विविधता को संरक्षित करना भी है। यह क्षेत्र अपनी समृद्ध वन संपदा और वन्यजीवों के लिए जाना जाता है। वनाग्नि से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए हमारी टीमें दिन-रात काम कर रही हैं’।

      वन विभाग का यह प्रयास न सिर्फ पारिस्थितिकी तंत्र की रक्षा के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह राजगीर की प्राकृतिक सुंदरता और जैविक विविधता को आने वाली पीढ़ियों के लिए सुरक्षित रखने की दिशा में भी एक बड़ा कदम है। सही योजना और तकनीकी सहायता से प्राकृतिक आपदाओं को भी नियंत्रित किया जा सकता है।

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