“विशिष्ट शिक्षकों को एनपीएस (NPS) योजना से भविष्य में वित्तीय सुरक्षा मिलेगी। यह योजना न केवल उनकी पेंशन सुनिश्चित करेगी, बल्कि उनके सेवा काल के दौरान वित्तीय स्थिरता प्रदान करेगी…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिला शिक्षा पदाधिकारी ने सभी प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी को निर्देश जारी किया है कि विशिष्ट शिक्षकों को राष्ट्रीय पेंशन योजना (NPS) से आच्छादित करने की प्रक्रिया तेज करें। इस फैसले के तहत शिक्षकों को बिहार राज्य विद्यालय अध्यापक (नियुक्ति, स्थानांतरण, अनुशासनिक कार्रवाई एवं सेवाशर्त) नियमावली 2023 (संशोधित) के प्रावधानों के तहत एनपीएस का लाभ दिया जाएगा।
विशिष्ट शिक्षकों को एनपीएस योजना के तहत लाभान्वित करने के लिए प्राण (Permanent Retirement Account Number) अनिवार्य है। एनपीएस कर्मियों के लिए ओपीजीएम और ई-एनपीएस के माध्यम से प्राण आवंटन की सुविधा उपलब्ध है। ई-एनपीएस की प्रक्रिया पूरी तरह से पेपरलेस है। जिसमें अभिदाता को सभी सूचनाएं ऑनलाइन भरनी होती हैं।
इसके लिए विशिष्ट शिक्षकों को ऑनलाइन आवेदन करना होगा। आवेदन के साथ नियुक्ति पत्र, पदस्थापन पत्र, योगदान पत्र, आधार नंबर, पैन नंबर, कैंसिल चेक और पहचान पत्र जैसे दस्तावेज अनिवार्य हैं। इसके बाद नोडल पदाधिकारी आवेदन की जांच करेंगे और स्वीकृति प्रदान करेंगे। सत्यापन के बाद प्राण नंबर जेनरेशन की प्रक्रिया शुरू होगी।
बिहार सेवा संहिता के अनुसार, जिन कर्मियों की जन्मतिथि माह की दूसरी तारीख या उसके बाद की है। उनकी सेवानिवृत्ति तिथि 60 वर्ष की आयु पूरी करने वाले माह की अंतिम तारीख को होगी। वहीं जिनकी जन्मतिथि माह की पहली तारीख को है, उनकी सेवानिवृत्ति पिछले माह की अंतिम तारीख को मानी जाएगी।
वहीं ई-एनपीएस प्रक्रिया में सभी सूचनाओं का ऑनलाइन भराव जरूरी है। तकनीकी दिक्कतें इसे धीमा कर सकती हैं। प्राण नंबर की सत्यापन और स्वीकृति में लगने वाला समय प्रक्रिया को धीमा कर सकता है। शिक्षकों को ऑनलाइन प्रक्रिया के बारे में कम जानकारी होने के कारण उन्हें मार्गदर्शन की आवश्यकता होगी।
इस संबंध में जिला शिक्षा पदाधिकारी ने स्पष्ट किया है कि सभी विशिष्ट शिक्षकों का प्राण नंबर जल्द से जल्द भरवाया जाए। इसके लिए प्रखंड स्तर पर अभियान चलाने के निर्देश दिए गए हैं।
विशिष्ट शिक्षकों को एनपीएस योजना में शामिल करना सरकार का एक सराहनीय कदम है। हालांकि इस प्रक्रिया को सुगम और समयबद्ध बनाने के लिए प्रशासनिक सतर्कता और शिक्षकों के सहयोग की आवश्यकता है। इस पहल से न केवल शिक्षकों को लाभ मिलेगा, बल्कि शिक्षा व्यवस्था में भी सुधार होगा।
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