बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की निगरानी और रिपोर्टिंग को लेकर बड़ी अनियमितताएं सामने आई हैं। यहां शिशु प्रसव और टीकाकरण जैसी महत्वपूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं प्रदान करने वाले 23 निजी अस्पतालों को विभागीय आदेश की अवहेलना के लिए शोकॉज नोटिस जारी किया गया है।
बताया जाता है कि बीते दिन जिले के सभी निजी अस्पताल संचालकों की बैठक बुलाई गई थी, लेकिन इसमें मात्र 2 अस्पतालों के संचालक ही पहुंचे। अन्य 23 अस्पतालों ने बैठक को नजरअंदाज कर दिया। इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए नालंदा जिला सिविल सर्जन (सीएस) डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने संबंधित अस्पतालों से स्पष्टीकरण मांगा है और संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर उनके लाइसेंस रद्द करने की चेतावनी दी है।
स्वास्थ्य विभाग के अनुसार निजी अस्पतालों द्वारा टीकाकरण और प्रसव से संबंधित डेटा नियमित रूप से एचएमआईएस पोर्टल पर अपलोड करना अनिवार्य है। यह डेटा न केवल सरकारी योजनाओं की सफलता का आकलन करने में मदद करता है, बल्कि जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की वास्तविक स्थिति को भी दर्शाता है।
डॉ. जितेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि जिले में करीब 80 प्रतिशत टीकाकरण ही रिपोर्ट किया जा रहा है। जबकि निजी अस्पतालों में भी बड़ी संख्या में टीकाकरण और प्रसव होते हैं। रिपोर्टिंग में कमी के कारण मुख्यालय को जिले की वास्तविक स्वास्थ्य स्थिति का आकलन करना मुश्किल हो रहा है। इससे सरकार की कई महत्वाकांक्षी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं।
उन्होंने कहा कि मुख्यालय के सख्त निर्देश पर स्वास्थ्य विभाग ने 25 निजी अस्पतालों को बैठक में शामिल होने का पत्र भेजा था। लेकिन अधिकांश अस्पतालों ने इसे नजरअंदाज कर दिया। यह विभागीय आदेश की सीधी अवहेलना है। निजी अस्पतालों के माध्यम से भी लोग बड़ी संख्या में स्वास्थ्य सेवाओं का लाभ उठा रहे हैं। लेकिन इन सेवाओं की रिपोर्टिंग सही तरीके से नहीं हो रही है।
सीएस ने स्पष्ट किया कि यदि स्पष्टीकरण संतोषजनक नहीं मिला तो 23 अस्पतालों का लाइसेंस रद्द किया जा सकता है। विभाग अब निजी अस्पतालों पर नकेल कसने और रिपोर्टिंग प्रक्रिया को दुरुस्त करने के लिए पूरी तरह से तैयार है।
बता दें कि टीकाकरण और प्रसव के आंकड़ों में गड़बड़ी के कारण सरकार की कई योजनाओं, जैसे- टीकाकरण अभियान और मातृत्व सुरक्षा योजनाएं, प्रभावित हो रही हैं। सही आंकड़ों के अभाव में मुख्यालय स्तर पर योजनाओं की सही प्रगति का पता नहीं चल पा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग अब इस मामले की निगरानी मुख्यालय स्तर से कर रहा है। अस्पतालों को दिए गए शोकॉज नोटिस के जवाब का इंतजार किया जा रहा है। यदि संतोषजनक जवाब नहीं आया तो न केवल अस्पतालों के लाइसेंस रद्द होंगे। बल्कि उन पर अन्य कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।
- CM निजी नलकूप योजना: किसानों के लिए सुनहरा अवसर, 31 जनवरी तक ऐसे करें आवेदन
- अब कबाड़ बन जाएंगे 15 साल पुराने सभी सरकारी वाहन, RR पर लगी रोक
- 15 दिन में नहीं सुधरे तो ऐसे पेट्रोल पंपों के लाइसेंस रद्द होंगे, DM को जांच के निर्देश
- राजगीर-दानापुर इंटरसिटी एक्सप्रेस का कोडरमा तक परिचालन शुरु, जानें समय सारणी
- बिहारशरीफ में बनेगा भव्य क्लॉक टावर, नगर को लगाएगा चार चाँद