
नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार की राजधानी पटना में यातायात के क्षेत्र में एक नया अध्याय जुड़ने जा रहा है। मेट्रो रेल परियोजना के साथ-साथ अब शहरवासियों को वाटर मेट्रो की सुविधा भी जल्द मिलने वाली है। यह बिहार की पहली अनूठी सेवा होगी, जो गंगा नदी पर शुरू की जाएगी। यह न केवल आवागमन को आसान बनाएगी, बल्कि पर्यावरण के अनुकूल और किफायती परिवहन का एक नया विकल्प भी प्रदान करेगी।
वाटर मेट्रो परियोजना का मुख्य उद्देश्य गंगा नदी के किनारे बसे प्रमुख घाटों को आपस में जोड़ना है। यह सेवा न केवल स्थानीय लोगों के लिए आवागमन को सुगम बनाएगी, बल्कि पर्यटकों के लिए भी गंगा की सैर को और आकर्षक बनाएगी। इस परियोजना के तहत आधुनिक और पर्यावरण अनुकूल वाटरक्राफ्ट का उपयोग किया जाएगा, जो सुरक्षित, आरामदायक और प्रदूषण मुक्त होंगे।
वाटर मेट्रो के लिए पहलेजा घाट से दीघा घाट- 10.62 किमी, दीघा घाट से एनआईटी घाट- 6.63 किमी, एनआईटी घाट से कोनहारा घाट- 8.32 किमी, एनआईटी घाट से कंगन घाट- 7 किमी, कंगन घाट से बिदुपुर- 10.7 किमी रुट निर्धारित किए गए हैं। ये रूट कुल मिलाकर लगभग 50 किलोमीटर के दायरे को कवर करेंगे। जिससे गंगा के दोनों किनारों पर बसे इलाकों में आवागमन आसान हो जाएगा।
वाटर मेट्रो का किराया बेहद किफायती रखा गया है। जो मात्र 20 से 40 रुपये के बीच होगा। यह कदम खास तौर पर उन लोगों के लिए फायदेमंद होगा, जो रोजाना नदी पार करके अपने कार्यस्थल या अन्य स्थानों पर जाते हैं। इसके अलावा यह सेवा पर्यटकों के लिए भी एक आकर्षक विकल्प होगी, जो कम खर्च में गंगा की खूबसूरती का आनंद ले सकेंगे।
वाटर मेट्रो की सफलता के बाद इस तरह की सेवाओं को बिहार के अन्य शहरों और नदियों पर भी शुरू करने की योजना बनाई जा सकती है। यह परियोजना न केवल परिवहन के क्षेत्र में क्रांति लाएगी, बल्कि बिहार को पर्यटन और आर्थिक विकास के नए अवसर भी प्रदान करेगी।
बहरहाल, पटना की वाटर मेट्रो परियोजना बिहार के लिए एक ऐतिहासिक कदम मानी जा रही है। जोकि आधुनिकता, पर्यावरण संरक्षण और आर्थिक विकास को एक साथ बढ़ावा देगी। यह सेवा जल्द ही गंगा के किनारे बसे लोगों और पर्यटकों के लिए एक नया और सुविधाजनक परिवहन विकल्प बनकर उभरेगी।









