बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण )। भले ही आज देश आजादी का अमृत महोत्सव मना रहा हो। लेकिन आज भी गांव जीवन में मुंशी प्रेमचंद की कहानियां यथार्थ बनकर जीवित है। अंतर सिर्फ कहानियों के पात्र बदल गये हैं। आज भी दलित किसी न किसी रूप में सवर्णों के हाथों शोषण को मजबूर हैं। गांव में सूदखोरी आज भी जारी है। गांव में महाजनी सभ्यता दलितों के शोषण व्यथा को दिखाती है।
मुंशी प्रेमचंद की कहानी ‘सवा सेर गेहूं’ की कहानी के पात्र शंकर की जगह रंजीत मांझी और महाजन ब्राह्मण की जगह मंटू सिंह जैसे सूदखोर आज भी गांव में दलितों का शोषण कर रहे हैं। महज तीन हजार रुपए के लिए किसी की हत्या कर देना ,उसके घर-परिवार को उजाड़ देना,सात -आठ बच्चों को बाप के प्यार से दूर कर देने की ऐसी ही एक घटना सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला में घटित हुई है।
चंडी थाना क्षेत्र के रूखाई में शुक्रवार शाम को सूद की राशि नहीं लौटाने पर एक महादलित की पीट पीट कर अधमरा कर दिया। जहां इलाज के दौरान उसकी मौत हो गई।
रुखाई गांव के रामेश्वर मांझी के चालीस वर्षीय पुत्र रंजीत मांझी ने गांव के ही मंटू सिंह से तीन हजार रुपए कर्ज लिए हुए था। लेकिन आर्थिक अभाव की वजह से रंजीत मांझी रूपये लौटाने में टाल-मटोल कर रहा था।
इसी बात को लेकर मंटु सिंह और रंजीत मांझी के बीच कहासुनी हो गई। बात आना आनी तक पहुंच गई। दोनों के बीच गर्मागर्म बहस हुई।
मंटू सिंह ने अपने साथियों को बुला लाया। फिर दोनों के बीच मारपीट हुई। जिसमें रंजीत मांझी बुरी तरह जख्मी हो गया।उसे इलाज के लिए पावापुरी भेजा गया। जहां उसकी मौत हो गई। इस घटना के बाद परिजन में कोहराम मच गया।
रंजीत मांझी की पत्नी का जहां सुहाग उजड़ गया तो वही उसके सात बच्चे अनाथ हो गए। जबकि मृतक की पत्नी मालती देवी चार माह की गर्भवती है। उसके सामने अपने सात बच्चों जिनमें छह बच्ची और एक पुत्र शिवम कुमार की देखभाल का जिम्मा आ पड़ा है।
अब उसकी पहाड़ सी जिंदगी कैसे कटेगी यह सोचकर रोते रोते आंखें पथरा सी गई है। हर कोई मालती देवी के बारे में सोचकर कलेजा कांप उठता है।