बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के प्लस टू विद्यालयों में अभी 11वीं कक्षा में छात्र-छात्राओं का नामांकन की प्रक्रिया नहीं शुरू हुई है। बिहार विद्यालय परीक्षा समिति के द्वारा परीक्षार्थियों के क्रॉस लिस्ट उपलब्ध कराए जाने के बाद ही 11वीं कक्षा में छात्र-छात्राओं का नामांकन होगा।
हालांकि नालंदा जिले के लगभग 27 डिग्री कॉलेजों से इस वर्ष इंटरमीडिएट की पढ़ाई समाप्त कर देने से छात्र-छात्राओं को 11वीं कक्षा में नामांकन लेने में भारी कठिनाई का सामना करना पड़ेगा।
नालंदा जिले में लगभग 280 प्लस टू विद्यालय हैं। जहां साइंस और आर्ट्स संकाय में अलग-अलग 120 सीटें उपलब्ध हैं। कुछ प्लस टू विद्यालयों में कॉमर्स सब्जेक्ट की भी पढ़ाई की सुविधा मौजूद है। कुछ स्कूलों में सीटों की संख्या कुछ अधिक भी है।
हालांकि इसके बावजूद जिन विद्यालयों में प्लस टू में सीटों की संख्या कुछ अधिक है, वहां दसवीं परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले छात्र-छात्राओं की संख्या भी लगभग दोगुनी है। ऐसे में मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले सभी छात्र-छात्राओं को अपने ही स्कूल में 11वीं कक्षा में नामांकन मिलना मुश्किल हो जाएगा।
बिहार शिक्षा विभाग के निर्देश के अनुसार इस वर्ष मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण करने वाले विद्यार्थी अपने ही विद्यालय में 11वीं कक्षा में नामांकन लेंगे। स्कूलों में सीटें कम रहने के कारण कई छात्र-छात्राओं को ऐसे में नामांकन मिलना मुश्किल हो जाएगा।
उदाहरण के लिए बिहारशरीफ नगर अवस्थित एसएस बालिका प्लस टू विद्यालय में लगभग 800 छात्राएं इस वर्ष मैट्रिक की होगी तो उन्हें स्कूल में मौजूद मात्र 220 सीटों में ही नामांकन लेना मुश्किल होगा।
इसी प्रकार शहर के प्रमुख विद्यालय आदर्श प्लस टू विद्यालय खंदक पर से इस वर्ष लगभग 500 से अधिक विद्यार्थी मैट्रिक की परीक्षा उत्तीर्ण किए हैं। इस विद्यालय में 11वीं कक्षा में साइंस और आर्टस संकाय में मात्र 220 सीटें ही उपलब्ध हैं।
कमोबेश यही स्थिति पूरे नालंदा जिले की प्लस टू विद्यालयों की है। जब जिले के डिग्री कॉलेजों में इंटरमीडिएट की की पढ़ाई होती थी तो लगभग आधे मैट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण विद्यार्थी इन्हीं डिग्री कॉलेज में नामांकित हो जाते थे। शेष बचे विद्यार्थियों का सरकारी प्लस टू विद्यालयों में आसानी से नामांकन हो जाता था। इस वर्ष 11वीं कक्षा में नामांकन में छात्र अभिभावकों को भारी फजीहत होने की उम्मीद है।
हालांकि शिक्षा विभाग के द्वारा अधिकांश प्लस टू विद्यालयों में संसाधन जुटाने का प्रयास किया जा रहा है। लेकिन शिक्षकों की संख्या पूर्ववत है तथा स्कूलों में सीटों की संख्या भी बढाई नहीं गई है। भवन तथा उपस्करो कि भी अवश्य कमी होगी। 11वीं कक्षा में नामांकन शुरू होने के पहले ही कई प्लस टू विद्यालयों के प्रधानाध्यापक अभी से परेशान हो रहे हैं।
नालंदा जिले के प्लस टू विद्यालयों में विषयवार शिक्षकों की कमी: जिले के अधिकांश माध्यमिक विद्यालयों को विगत तीन-चार वर्षो के दौरान उत्क्रमित कर प्लस टू विद्यालयों का दर्जा दे दिया गया है। कई प्रारंभिक विद्यालयों को भी प्लस टू का दर्जा मिला हुआ है।
हालांकि इनमें से अधिकांश विद्यालयों में 11वीं तथा मैट्रिक 12वीं कक्षा के छात्र-छात्राओं को पढ़ाने के लिए विषयवार शिक्षक नहीं है। कहीं साइंस के कुछ शिक्षक हैं तो कहीं आर्ट्स के कुछ शिक्षकों के द्वारा ही काम चलाया जा रहा है।
ऐसे में नालंदा के सभी प्लस टू विद्यालयों में नामांकन लेने वाले छात्र-छात्राओं को भी अपनी आगे की पढ़ाई के लिए सोचना पड़ेगा।
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