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कुएं तो नए हो गए, मगर इनके पाटों पर नहीं लौट रही रौनक

बेन (रामावतार कुमार)। सार्वजनिक कुओं के जीर्णोद्धार किए जाने की योजना थोड़ी अजीब लगती है। अधिकारी यह स्पष्ट नहीं कर पा रहे हैं कि इन कुओं के जीर्णोद्धार पेयजल उपलब्ध कराने के लिए किया गया है या इसका इस्तेमाल खेती किसानी में होना है। यह स्पष्ट नहीं हो रहा है।

Wells have become new but brightness is not returning to their banks 1हालांकि सरकारी स्तर से क्षतिग्रस्त कुओं का जीर्णोद्धार कराने में बड़े पैमाने पर राशि खर्च की गई है। सरकार की यह कैसा फैसला है। जो एक तरफ सरकार राज्य में सार्वजनिक कुओं के जीर्णोद्धार कर रही है, तो दूसरी तरफ राज्य सरकार पाइप के जरिये हर घर में पीने का पानी पहुंचाने की योजना भी संचालित कर रही है।

इसके तहत हर गांव में बोरिंग के जरिये भूगर्भ जल निकाल कर उसे शुद्ध किया जा रहा है और पाइप लाइन के जरिये घर-घर पहुंचाया जा रहा है।

ऐसे में कुओं के जीर्णोद्धार की इस योजना से आमलोगों को कुछ लाभ भी होगा या इनका सिर्फ डेकोरेटिव महत्व रह जायेगा, यह देखने वाली बात होगी।

हालांकि जिन कुओं का जीर्णोद्धार किया गया है, वे ज्यादातर घरेलू इस्तेमाल के लिए उपयोग में लाए जानें वाले कुएँ हैं। दस-पंद्रह वर्ष पूर्व कुओं का पानी पीने और स्नान करने व कपड़े धोने के लिए खूब इस्तेमाल होता था।

मगर दशकों से इन कुओं का उपयोग नहीं किया जा रहा। क्योंकि तकनीकी विकास व आर्थिक मजबूती के बाद हैंडपंप व अन्य अत्याधुनिक साधन से जल का दोहन होने लगा। जिससे कुओं की उपयोगिता समाप्त हो गई और अनुपयोगी हो गया है।

★ बोले ग्रामीण: कुएँ को जीर्णोद्धार किया जाना सही है, पर जब कुएँ में पानी नहीं और इस्तेमाल नहीं तो क्या फायदा … सुबोध सिंह।

कुओं को जीर्णोद्धार करने में सरकार की ओर से खर्च तो किए गए पर इससे ग्रामीणों को कोई लाभ नहीं मिल रहा है ….दिलीप कुमार।

किस उद्देश्य से कुओं का जीर्णोद्धार किया गया। यह मुझे समझ में नहीं आता है …मनोज कुमार।

कुएँ के स्वच्छ पानी से आर्सेनिक और फ्लोराइड जैसे खनिज पदार्थ से होने वाली कई बीमारियों से बचा जा सकता है ….सिद्धार्थ प्रसाद।

 

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