नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार के औरंगाबाद जिले में बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) टीआरआई-1 और टीआरआई-2 के तहत बहाल हुए 37 शिक्षकों की नौकरी चली गई है। शिक्षा विभाग ने इन शिक्षकों को स्पष्टीकरण मांगा था। संतोषजनक स्पष्टीकरण नहीं पाए जाने पर उन्हें बर्खास्त कर दिया गया है।
औरंगाबाद जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना द्वारा जारी आदेश पत्र के अनुसार रफीगंज प्रखंड में नियुक्त 5, औरंगाबाद अनुमंडल में नियुक्त 6, बारुण प्रखंड में नियुक्त 2, ओबरा प्रखंड में नियुक्त 3, कुटुंबा प्रखंड में नियुक्त 4, देव प्रखंड में नियुक्त 4, दाउदनगर अनुमंडल में नियुक्त 2, नबीनगर प्रखंड में नियुक्त 6, मदनपुर प्रखंड में नियुक्त 3 एवं हसपुरा और गोह प्रखंड में नियुक्त 1-1 शिक्षक की नियुक्ति को रद्द कर दिया गया है। ये सभी शिक्षक सभी कक्षा एक से कक्षा पांच तक में कार्यरत थे।
जारी पत्र में कहा गया है कि उपरोक्त सभी विद्यालय अध्यापकों की शिक्षक पात्रता परीक्षा का प्राप्तांक 60% से कम रहने पर नियुक्ति हेतु पात्र नहीं होने के कारण स्पष्टीकरण की मांग की गई थी। स्पष्टीकरण का जवाब मिलने के बाद यह कार्रवाई की गयी है। अपने स्पष्टीकरण में उन शिक्षकों ने स्वीकार किया है कि शिक्षक पात्रता परीक्षा में उन्होंने 60% अंक प्राप्त नहीं किया है।
कम अर्हता के कारण हुई कार्रवाईः स्थापना डीपीओ के द्वारा जारी किए गए पत्र में लिखा गया है कि विद्यालय अध्यापक की नियुक्ति हेतु प्रकाशित विज्ञापन के आलोक में हुए सामान्य श्रेणी के लिए निर्धारित शिक्षक पात्रता परीक्षा की आहर्ता पूरी नहीं करते।
आवेदन में उन्होंने अंकित किया है कि वह नियुक्ति के लिए सभी आवश्यक अर्हता पूरी करते हैं, जो सही नहीं है। ‘अर्हता पूरी नहीं करने के कारण सभी 37 विद्यालय अध्यापकों की औपबंधिक नियुक्ति रद्द की गई है।
सभी शिक्षकों की नियुक्ति बिहार लोक सेवा आयोग के विज्ञापन संख्या 27/2023 के आलोक में हुई है। लेकिन इनके द्वारा उप स्थापित शैक्षणिक प्रशैक्षणिक प्रमाण पत्रों के अवलोकन से यह स्पष्ट हुआ कि उनकी योग्यता विद्यालय अध्यापक के लिए समुचित नहीं है। ऐसी स्थिति में उनकी नियुक्ति रद्द की गयी।
पटना हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में कार्रवाईः पटना हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि बिहार के बाहर के अभ्यर्थियों को शिक्षक पात्रता परीक्षा में पांच प्रतिशत की छूट देय नहीं होगी। इस आदेश के आलोक में बिहार के बाहर के शिक्षकों की शिक्षक पात्रता परीक्षा में प्राप्तांक 60 प्रतिशत से कम रहने पर उनकी उम्मीदवारी निरस्त करने के योग्य है।
इस मामले में जिला शिक्षा पदाधिकारी (स्थापना शाखा) के कार्यालय की ओर से जिन शिक्षकों की नियुक्ति रद्द की गयी है। उनके प्राप्तांक सीटीईटी परीक्षा में 90 से कम थी।
प्रायः शिक्षक प्रदेश के बाहर के निवासी हैंः खबरों के मुताबिक औरंगाबाद में बिहार से बाहर के सैकड़ों ऐसे शिक्षक हैं, जिनके सीटीईटी में प्राप्त अंक 90 से कम आए हैं। सभी शिक्षक बिहार से बाहर के रहने वाले हैं और इन्हें नौकरी से हटाने का निर्णय हाईकोर्ट के उस फैसले के आधार पर किया गया है जिसमें किसी भी तरह के आरक्षण का लाभ बिहार के बाहर अभ्यर्थियों को देना गैर कानूनी बताया गया था।
हाई कोर्ट के आदेश के बाद इन सभी शिक्षकों को नोटिस जारी किया गया था और अपने संबंध में स्पष्टीकरण देने के लिए कहा गया था। नौकरी से निकाले गए अधिकांश बीपीएससी शिक्षक महिला है और इन्हें पुरुषों के मुकाबले 5 फीसदी कम रहने के बावजूद महिला कोटा के तहत नौकरी दी गई थी। इसके खिलाफ हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई थी।
हाई कोर्ट में स्पष्ट किया कि किसी भी तरह के आरक्षण का लाभ सिर्फ राज्य के निवासी को ही दिया जा सकता है, बाहरी को नहीं।
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