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Nipun Bihar Yojana: 65 लाख बच्चों को भाषा और गणित में दक्ष बनाएगी निपुण बिहार

नालंदा दर्पण डेस्क। Nipun Bihar Yojana: बिहार सूबे के 72 हजार प्राइमरी और मिडिल स्कूलों के बच्चों में लिखने-पढ़ने की आदत विकसित की जा रही है। जिसमें पहली से तीसरी कक्षा के तकरीबन 65 लाख बच्चे भाषा एवं गणित में बुनियादी रूप से दक्ष बनेंगे। पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों को भाषा एवं गणित में बुनियादी दक्षता प्रदान करने के लिए वर्ष 2022 से ही ‘निपुण बिहार’ योजना चल रही है।

इस योजना के तहत दो लाख शिक्षक प्रशिक्षित किये गये हैं। ये शिक्षक बच्चों को भाषा एवं गणित में दक्ष बनाने में लगे हैं। बच्चों में स्कूल के प्रति ललक पैदा करने के लिए ‘विद्यालय तत्परता कार्यक्रम’ भी चलाये जा रहे हैं। बच्चों को स्कूल बैग, कॉपी, कलम, पानी का बोतल एवं कंपास दिये जा रहे हैं।

‘निपुण बिहार’ के तहत पहली से तीसरी कक्षा के बच्चों को भाषा, गणित एवं अंग्रेजी की अभ्यास पुस्तिका भी उपलब्ध करायी जा रही है। पहली कक्षा में नामांकित बच्चे स्कूल जाने के लिए तत्पर रहें, इसके लिए ‘विद्यालय तत्परता कार्यक्रम’ चलाये जा रहे हैं।

राष्ट्रीय शिक्षा नीति, 2020 ने बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान को शिक्षा के बुनियादी स्तर को मजबूत करने के लिए सबसे महत्वपूर्ण बताया है। इसके मद्देनजर बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान पर राष्ट्रीय मिशन ‘निपुण भारत’ की शुरूआत हुई।

बिहार में ‘निपुण बिहार’ का विधिवत शुभारंभ पांच सितंबर, 2022 को तत्कालीन शिक्षा मंत्री ने किया। इसके तहत पहली, दूसरी व तीसरी कक्षा तक के बच्चों में बुनियादी शिक्षा कौशल विकसित किये जा रहे हैं।

लक्ष्य है कि 2026-27 तक तीसरी कक्षा में शतप्रतिशत बच्चों में सार्वभौमिक बुनियादी साक्षरता और संख्या ज्ञान प्राप्त करने के लिए भाषा और गणित के कौशल सीख सकेंगे। यानी, समझ के साथ पढ़ सकेंगे। लिख सकेंगे। सरल गणितीय संक्रियाएं कर सकेंगे। मूलभूत जीवन कौशल सीख सकेंगे।

इसके तहत यह लक्ष्य भी है कि बच्चे स्वच्छता और अच्छा स्वास्थ्य बनाये रखें। बच्चों का सम्प्रेषण प्रभावी हो। बच्चे कार्य से जुड़े रहने वाले शिक्षार्थी बनें एवं अपने निकटतम परिवेश से जुड़े रहें। उनमें तार्किक और रचनात्मक सोच जैसे महत्वपूर्ण कौशल विकसित किये जा रहे हैं।

इसे स्वीकार किया गया है कि बच्चों के समग्र शारीरिक, मानसिक, सामाजिक और भावनात्मक विकास के लिए शुरूआती वर्ष बेहद महत्वपूर्ण हैं। इसके लिए यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि बच्चों का स्वास्थ्य अच्छा रहे। उनमें सामाजिक और भावनात्मक विकास हो। उनका पोषण हो। उनमें स्वच्छ आदतें विकसित हों।

यह भी स्वीकार किया गया है कि बच्चों को उनके आसपास में मौजूद रंग, वस्तुएं और उनके आकार, ध्वनियां आदि उत्सुक करती हैं। परिवेश और दूसरों से जुड़ने की इच्छा और अपनी भावनाओं को साझा करना, बच्चों में सीखने की दक्षता पैदा करते हैं। इसके लिए तय लक्ष्य के कार्य किये जा रहे हैं।

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