बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में कुल 1677 में से लगभग 808 कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) अभी भी सक्रिय हैं। जबकि 51.81 प्रतिशत सेंटर बंद हो चुके हैं। बीते तीन वर्षों में बड़ी संख्या में CSC संचालकों ने अपनी दुकानें बंद कर दी हैं। यह चिंताजनक रिपोर्ट सामने आने के बाद लोग जानना चाहते हैं कि आखिर इसके पीछे क्या वजहें हैं?
कॉमन सर्विस सेंटर (CSC) संचालकों द्वारा सेंटर बंद करने के पीछे कई प्रमुख कारण सामने आ रहे हैं। इनमें सबसे बड़ी वजह यह है कि इन सेंटरों से होने वाली आमदनी में भारी गिरावट आई है, जबकि खर्चों में लगातार वृद्धि हो रही है। इंटरनेट शुल्क, दुकान का किराया, बिजली बिल, कागज, प्रिंटिंग और कंप्यूटर जैसे खर्चों में हर साल बढ़ोत्तरी हो रही है, जिससे संचालकों की कमाई कम हो रही है।
स्मार्टफोन और मोबाइल एप्स के बढ़ते चलन ने भी CSC की मांग को प्रभावित किया है। पहले जो छोटे-मोटे काम जैसे आधार कार्ड अपडेट करना, पैन कार्ड बनवाना या राशन कार्ड में सुधार करना। ये सभी काम लोग CSC के जरिए करते थे। अब ये सेवाएं लोग अपने स्मार्टफोन पर मोबाइल एप्स से कर लेते हैं। जिससे साइबर कैफे और CSC की आमदनी पर गहरा असर पड़ा है।
एक संचालक ने बताया कि प्रशासन द्वारा समय-समय पर राशन कार्ड, आयुष्मान कार्ड, वोटर लिस्ट में नाम जोड़ने जैसी योजनाओं के लिए कैंप लगाने के निर्देश मिलते हैं। लेकिन समस्या यह है कि इन कार्यों के बदले संचालकों को समय पर भुगतान नहीं मिलता। जिससे उनकी आर्थिक स्थिति और कमजोर हो जाती है। इससे यह सवाल उठता है कि क्या ‘डिजिटल इंडिया’ का सपना खतरे में है?
कोरोना महामारी के दौरान इन सेंटरों ने शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में योजनाओं के क्रियान्वयन में अहम भूमिका निभाई थी। बावजूद इसके अब संचालकों को प्रशासन और सरकार से अपेक्षित सहयोग नहीं मिल रहा है। खासकर ग्रामीण क्षेत्रों में जहां आधार कार्ड, पैन कार्ड, आयुष्मान हेल्थ कार्ड जैसी सेवाओं के लिए लोग पूरी तरह से CSC पर निर्भर होते हैं। वहां ये सेंटर अत्यधिक महत्वपूर्ण हैं।
बता दें कि सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया कार्यक्रम के तहत कॉमन सर्विस सेंटर योजना चलाई जा रही है। जिसके माध्यम से गांवों और कस्बों में डिजिटल सेवाएं प्रदान की जाती हैं। हालांकि इन सेंटरों के संचालन में जो खर्चे आते हैं, वह संचालकों के लिए एक बड़ी चुनौती बन रहे हैं। तकनीकी आवश्यकताओं की पूर्ति और अन्य खर्चों के बाद भी आमदनी की गारंटी न होने के कारण CSC संचालक आर्थिक तंगी का सामना कर रहे हैं।
सरकार को इस मामले को गंभीरता से लेना होगा। अगर CSC संचालकों की समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो ‘डिजिटल इंडिया’ की यह महत्वपूर्ण कड़ी टूट सकती है। CSC जैसी सेवाओं के बिना ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी और अन्य ऑनलाइन सेवाओं की पहुंच प्रभावित हो सकती है। सरकार को ऐसे कदम उठाने चाहिए जिससे इन सेंटरों को आर्थिक सहायता मिल सके और उनकी स्थिरता सुनिश्चित की जा सके।
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