बिहार का पहला मध्यस्थता केंद्र: बिहारशरीफ में शुरूआत, जानें विस्तार

“बिहारशरीफ में शुरू हुआ यह मध्यस्थता केंद्र न केवल बिहार, बल्कि पूरे देश के लिए एक मिसाल बन सकता है। यह पहल न केवल कानूनी प्रक्रिया को सरल बनाएगी, बल्कि समाज में शांति और सौहार्द को भी बढ़ावा देगी…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में वैकल्पिक विवाद समाधान की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम उठाया गया है। बिहारशरीफ के एतवारी बाजार में बिहार के पहले मध्यस्थता केंद्र की शुरुआत की गई है। इस केंद्र का उद्घाटन सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता विनिता सहाय ने किया, जिन्होंने इस अवसर पर वकीलों को मध्यस्थता की प्रक्रिया और इसके महत्व पर प्रशिक्षण भी प्रदान किया। यह केंद्र न केवल छोटे-मोटे विवादों को सुलझाने में मदद करेगा, बल्कि अदालतों और थानों पर बढ़ते केसों के बोझ को कम करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
विनिता सहाय ने अपने संबोधन में कहा कि न्याय की लंबी और जटिल राह को छोड़कर मध्यस्थता के जरिए विवादों का समाधान करें। उन्होंने जोर देकर कहा कि मध्यस्थता आपसी सुलह और समझौते का एक प्रभावी तरीका है, जो समय और संसाधनों की बचत करता है। इस केंद्र का मुख्य उद्देश्य छोटे-छोटे मामलों को बातचीत के जरिए हल करना है, जिन्हें कोर्ट तक ले जाने की आवश्यकता नहीं होती।
श्रीमती सहाय ने बताया कि भारत सरकार जल्द ही मेडिएशन काउंसिल ऑफ इंडिया की स्थापना करने वाली है, जिसका लक्ष्य देशभर में मध्यस्थता को बढ़ावा देना होगा। उन्होंने कहा कि कई मामले इतने छोटे होते हैं कि उन्हें आपसी बातचीत से सुलझाया जा सकता है। यह केंद्र ऐसे मामलों की पहचान कर उनका निदान करेगा।
विनिता सहाय ने बताया कि यह केंद्र बिहार में मध्यस्थता को बढ़ावा देने की दिशा में पहला कदम है। आने वाले समय में राज्य के अन्य हिस्सों में भी ऐसे मध्यस्थता केंद्र खोले जाएंगे। इन केंद्रों का लक्ष्य होगा कि लोग छोटे-मोटे विवादों को कोर्ट तक ले जाने के बजाय मध्यस्थता के जरिए सुलझाएं, जिससे समय और धन दोनों की बचत हो।
प्रशिक्षण कार्यक्रम: केंद्र पर वकीलों को मध्यस्थता के लिए ऑफलाइन और ऑनलाइन प्रशिक्षण दिया जाएगा। यह प्रशिक्षण मध्यस्थता की बारीकियों को समझने और निष्पक्ष समाधान तक पहुंचने में मदद करेगा।
निष्पक्ष प्रक्रिया: विनिता सहाय ने मध्यस्थता की प्रक्रिया पर जोर देते हुए कहा कि दोनों पक्षों की बात को पूरी तरह सुनना और परिस्थितियों का निष्पक्ष मूल्यांकन करना जरूरी है।
कानूनी मान्यता: मध्यस्थता के बाद तैयार समझौते पर दोनों पक्षों के हस्ताक्षर अनिवार्य हैं। यदि सभी कागजी कार्रवाइयां पूरी हों तो इस समझौते को कोर्ट और अन्य कानूनी संस्थानों में पूर्ण मान्यता प्राप्त होगी।
इस उद्घाटन समारोह में आईएचआरसी मंच के चेयरमैन जीके पांडेय, निर्देशक चंदन पांडेय, अधिवक्ता सुरेश प्रसाद, दिनेश सिंह, स्वास्थ्य प्रकोष्ठ के स्टेट चीफ रामाश्रय सिंह, राहुल कुमार, सौरभ मिश्रा, विक्रांत कुमार, अजीत कुमार, राजेश पाठक, संजीत कुमार, सत्यम राज सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे। सभी ने इस पहल की सराहना की और इसे बिहार के लिए एक क्रांतिकारी कदम बताया।
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