बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ स्मार्ट सिटी (Biharsharif Smart City) परियोजना के तहत निर्माणाधीन भरावपर फ्लाई ओवर को लेकर एक बार फिर नई उम्मीदें जगी हैं। इस महत्वाकांक्षी परियोजना के तहत फ्लाई ओवर का निर्माण कार्य पूरा करने की नई समय सीमा 30 जून 2025 निर्धारित की गई है। इस फ्लाई ओवर के बनने से शहरवासियों को जाम की गंभीर समस्या से निजात मिलने की संभावना है। हालांकि मौजूदा निर्माण कार्य की धीमी गति को देखते हुए यह सवाल उठ रहा है कि क्या निर्धारित तिथि तक यह फ्लाई ओवर वाहनों के लिए तैयार हो पाएगा?
फिलहाल इस फ्लाई ओवर के निर्माण के लिए कुल 171 गार्डर लगाए जाने हैं, जिनमें से अब तक 144 गार्डर ही स्थापित हो सके हैं। शेष 27 गार्डर को लगाने का काम जारी है। लेकिन प्रगति धीमी है। इसके अलावा 28 डेस्क स्लैब तैयार किए जाने हैं, जिनमें से केवल 13 ही पूरे हो पाए हैं। निर्माण कार्य को गति देने के लिए एलआईसी बिल्डिंग के पास आरीवॉल का निर्माण और भरावट का काम चल रहा है।
जबकि सोगरा कॉलेज मोड़ के पास आरीवॉल का काम पहले ही पूरा हो चुका है। मुरारपुर रोड से लहेरी थाना मोड़ तक रास्ते में मकानों के निकले छज्जों को तोड़ने का काम चल रहा है। लेकिन इस हिस्से में रास्ते की संकीर्णता के कारण गार्डर लगाने में मजदूरों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते यह काम अभी तक अधूरा है।
यह फ्लाई ओवर 1.5 किलोमीटर लंबा और 8.9 मीटर चौड़ा है। आकार में भले ही यह बहुत विशाल न हो, लेकिन इसके रास्ते में आने वाली अड़चनें इसे एक जटिल परियोजना बनाती हैं। इस फ्लाई ओवर के निर्माण पर कुल 73 करोड़ रुपये की लागत आने का अनुमान है।
वर्ष 2022 में शुरू हुई इस परियोजना को मूल रूप से जुलाई 2024 तक पूरा करना था। लेकिन अतिक्रमण और अन्य बाधाओं के कारण यह लक्ष्य हासिल नहीं हो सका। इसके बाद केंद्र सरकार ने मार्च 2025 तक काम पूरा करने का निर्देश दिया। लेकिन इस बार भी समय सीमा पार हो गई। अब 30 जून 2025 की नई डेडलाइन तय की गई है।
निर्माण कार्य में देरी का मुख्य कारण संकीर्ण रास्ते, अतिक्रमण और तकनीकी दिक्कतें हैं। खास तौर पर मुरारपुर रोड से लहेरी थाना मोड़ तक का हिस्सा सबसे ज्यादा मुश्किल भरा है। यहां गार्डर लगाने में हो रही परेशानी ने पूरे प्रोजेक्ट की रफ्तार पर ब्रेक लगा दिया है।
स्थानीय लोग इस फ्लाई ओवर के बनने का बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं। क्योंकि यह जाम की समस्या से राहत दिलाने के साथ-साथ शहर की कनेक्टिविटी को भी बेहतर करेगा। लेकिन मौजूदा हालात को देखते हुए किसी दृष्टिकोण से नहीं लगता है क्या यह परियोजना वास्तव में 30 जून तक पूरी हो पाएगी।
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