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बिहार जूनियर इंजीनियर भर्ती: अब तक नालंदा के 9 अभ्यर्थी समेत 21 अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र फर्जी  निकले

बिहार शरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में वर्ष 2019 में निकले 6379 जूनियर इंजीनियर पदों पर बहाली के लिए चल रही दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया के दौरान एक बड़ा खुलासा हुआ है। अब तक 21 अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्र या तो फर्जी पाए गए या उनमें छेड़छाड़ की गई थी। बिहार कर्मचारी चयन आयोग (BSSC) ने इन सभी अभ्यर्थियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करते हुए पटना सचिवालय थाना में प्राथमिकी दर्ज कराई और उन्हें पुलिस के हवाले कर दिया।

दस्तावेज सत्यापन में लगातार फर्जीवाड़े का खुलासाः यह पहली बार नहीं है, जब दस्तावेज सत्यापन के दौरान फर्जी प्रमाण पत्रों का मामला सामने आया हो। पहले दिन भी 9 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी पाए गए थे। इन घटनाओं के बाद अब तक कुल 21 अभ्यर्थियों के प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़ा पाया जा चुका है। जिसमें से 12 नए मामले दूसरे दिन सामने आए हैं।

ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के फर्जी प्रमाण पत्रः विशेष ध्यान देने वाली बात यह है कि इन 12 में से 9 अभ्यर्थियों ने राजस्थान के चुरू स्थित ओपीजेएस यूनिवर्सिटी के फर्जी प्रमाण पत्र जमा किए थे। इन अभ्यर्थियों में 5 महिलाएं भी शामिल हैं। नालंदा जिले के सिलाव के ननंद गांव से तीन अभ्यर्थी- नीतीश कुमार, विजय कुमार और ममता कुमारी का नाम फर्जीवाड़े में सामने आया है। इसी तरह मधेपुरा के शंकरपुर के राजभीर गांव की पूजा कुमारी और रितू कुमारी भी इस फर्जीवाड़े में शामिल पाई गईं। जिन्होंने इसी विश्वविद्यालय के नकली प्रमाण पत्र जमा किए थे।

अन्य फर्जी प्रमाण पत्र वाले अभ्यर्थीः ओपीजेएस यूनिवर्सिटी से फर्जी प्रमाण पत्र जमा करने वालों के अलावा अन्य अभ्यर्थियों में भी फर्जीवाड़ा पाया गया। इनमें नालंदा के एकंगरसराय के बिरेंद्र कुमार, पूर्णिया के मो. जुल्फीकार, भागलपुर के अमित कश्यप, नवगछिया की रेश्मा कुमारी, समस्तीपुर की रूबी कुमारी, सुपौल के मंजीत कुमार दास और सारण के मनीष कुमार शामिल हैं।

सख्त कार्रवाई और भविष्य के संकेतः बिहार कर्मचारी चयन आयोग द्वारा की गई इस सख्त कार्रवाई से यह स्पष्ट हो गया है कि दस्तावेज सत्यापन प्रक्रिया को बहुत गंभीरता से लिया जा रहा है। फर्जी प्रमाण पत्रों के जरिए सरकारी नौकरी पाने की कोशिश करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ कड़े कदम उठाए जा रहे हैं। जिससे भविष्य में ऐसे प्रयासों पर रोक लग सके।

हालांकि यह मामला बिहार में सरकारी नौकरियों में भर्ती प्रक्रिया में पारदर्शिता और ईमानदारी को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है। शिक्षा और प्रमाण पत्रों के मामले में धोखाधड़ी करने वाले अभ्यर्थियों के खिलाफ ऐसी कार्रवाई अन्य अभ्यर्थियों के लिए चेतावनी के रूप में काम करेगी। ताकि वे उचित प्रक्रिया के तहत ही नौकरी पाने की कोशिश करें।

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