इसलामपुर (नालंदा दर्पण )। औषधीय पौधो के जैविक खेती एवं जैविक प्रमाणीकरण विषय पर क्वालिटी कॉसिंल आफ इंडिया एवं राष्ट्रीय पादप बोर्ड नई दिल्ली भारत सरकार द्वारा पटना एवीआर होटल में कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इसलामपुर पान अनुसंधान केंद्र के प्रभारी एसएन दास ने बताया कि बिहार की मिट्टी में औषधीय पौधा अश्वगंधा की खेती का प्रयोग सफल हो रहा है। वेगुसराय और मंसुर प्रखंड के अहियापुर गांव में इसकी खेती पर अनुसंधान करने वाले कृषि वैज्ञानिक उत्साहित है।
सरकार द्घारा जलवायु अनुकूल खेती में इसको शामिल करने के लिए प्रस्ताव भेजने की तैयारी चल रहा है। अहियापुर में अश्वगंधा की खेती कर प्रयोग सफल होने से किसान खुशहाल है।
अश्वगंधा के लिए कम वारिश वाला इलाका चाहिए। लेकिन अब तक जिन जिलों में इसकी खेती की गयी है। वहां समान्य बारिश के बाद भी इसकी अच्छी उपज हुई है।
उन्होंने बताया कि इसलामपुर पान अनुसंधान केंद्र में विभिन्न प्रकार की औषधीय पौधा पर प्रयोग किया जा रहा है। जिससे किसानों को लाभ मिल रहा है। केंद्र से सम्पर्क कर बीज प्राप्त कर सकते है। मार्केट तक विभिन्न प्रकार के औषधीय पौधा के बीज पहुंचाने के लिए औषधीय खेती सेवा संस्थान से सहयोग लिया जा रहा है।
सारन, पूर्वी चापरण, वैशाली, पटना, रोहतास, कटिहार आदि क्षेत्र के किसानों के द्वारा 47 एकड़ भूमि पर अश्वगंधा आदि की फसल को खेतों में लगाने के उत्साहित है। इसमें सारण बाजार समिति संजय गुप्ता 10 एकड, पुर्वी चांपरण सरैया वदुराहा गांव के मधुसुदन दुवे 2 एकड, रोहतास के डेफफोल्डिस अकादमी वेस्ट नोखा गढ के नीतु कुमारी 10 एकड, राजपुर सबेया बाल के उमेश प्रसाद 5 एकड, सवेया बाल राजपुर के सुरेंद्र सिंह 5 एकड,हिमांशु पटेल 10 एकड, अभिषेक कुमार 5 एकड खेतों में अश्वगंधा की फसल लगाने का इच्छा जाहिर की है।
इस वर्ष अश्वगंधा जमीन पर लगाकर लाभांवित होगे।इसके लिए इसलामपुर पान अनुसंधान केंद्र के वैज्ञानिक तत्पर है। अनुसंधानकर्ता वैज्ञानिको के अनुसार गोपालगंज, सारण के अलावे अन्य जिलो में इसकी खेती के लिए जगह का प्रयोग किया जायेगा। इसके लिए किसानो द्घारा इच्छा जाहिर किया जा रहा है।
इस कार्यशाला मे राज्य स्तरीय औषधीय पादप बोर्ड विहार के सीइओ श्री अरविंदर सिंह, राष्टीय पादप बोर्ड पूर्वी क्षेत्र के क्षेत्रिय निदेशक डॉ. संजय बाला, औषधीय एवं सुगंधित पौधा अनुसंधान केन्द्र आनंद गुजरात के डॉ.. आर.एन. रेड्डी, क्वालिटी कॉसिंल ऑफ़ इण्डिया नई दिल्ली के डॉ. एस.एस. कोरंगा, शिबेश शर्मा, गुजरात के साइनटीस नागाराजा रेवडी ,राजकीय तिब्बी कॉलेज पटना के प्राचार्य डॉ. तबरेज अखतर लारी, औषधीय एवं पान अनुसंधान केन्द्र नालंदा के डॉ. शिवनाथ दास, डॉ. अजीत पांडेय, बिहार कृषि विश्वविद्यालय सबौर के डॉ. प्रभात कुमार तथा राज्य भर के औषधीय पौधा, जैविक खेती एवं आयुष क्षेत्र मे कार्य करने वाले विभिन्न संस्थाओं, औषधीय कृषक समूह, एफपीओ के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। जबकि कार्यशाला का संचालन औषधीय एवं सुगन्धित पौधा उत्पादक संघ विहार के कृष्णा प्रसाद ने किया।
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