नालंदा दर्पण डेस्क। लोकतंत्र में कुर्सी अब इतनी प्यारी हो गयी है कि मुखिया जी फिर से रिस्क लेने को तैयार है। भ्रष्टाचार में डूबे मुखियाजी के गबन और घोटाले के कारनामे एक ओर पंचायत चुनाव के चुनावी मुद्दे बन गए है तो दूसरी ओर उनके द्वारा जनता को फिर से बरगलाने की कवायद भी जोर शोर से चल रही है।
राजगीर प्रखण्ड में बीस अक्टूबर को होने वाले पंचायत चुनाव में गबन में फंसे मुखियाजी फिर से किस्मत आजमाने के लिए एड़ी चोटी एक कर रहे हैं। प्रखण्ड के पथरौरा पंचायत एवं गरौर पंचायत में ऐसा ही नजारा दिख रहा है।
बिहार के मुखिया नीतीश कुमार के जीरो टॉलरेंस में फंसे पथरौरा पंचायत के निवर्तमान मुखिया अनुज कुमार को शेष अवधि के लिए पंचायती राज विभाग द्वारा हटा दिया गया था।
निगरानी विभाग द्वारा प्रखण्ड कार्यालय में हीं रंगे हाथ पचास हजार रुपए घूस लेते हुए गिरफ्तार निवर्तमान मुखिया अबकी बार अपनी पत्नी को चुनावी मैदान में उतार कर जनता का आशीर्वाद पाने की जुगत भीड़ा रहे हैं।
मनरेगा में पांच लाख की अवैध निकासी, प्रधानमंत्री आवास योजना में 17 फर्जी लाभार्थियों को राशि भुगतान कर राशि का गबन, मनरेगा में बिना गाड़े कुल छप्पन चापाकल के पैसे की निकासी, नाम बदलकर 14 व्यक्ति को पीएम आवास योजना का दोबारा लाभ दिलाना जैसे अन्य संगीन मामलों में मुखिया पर पंचायती राज विभाग की कार्रवाई की गई और मुखिया को शेष अवधि के लिए पद से हटा दिया गया था।
पंचायती राज विभाग द्वारा भ्रष्टाचार निवारण एवं प्रशासन की शुद्धता के लिए राज्य सरकार के जीरो टॉलरेन्स नीति के तहत मुखिया के लोकसेवक होते हुए आरोपित मुखिया को कर्तव्यों के निर्वहन में दुराचार बरतने एवं पदीय शक्ति का दुरुपयोग करने के आरोप में मुखिया को कार्यकाल के दौरान शेष कार्यावधि के लिए पदच्युत कर दिया गया था।
अब मुखियाजी अपनी पत्नी कुमारी रचना भारती को मैदान में उतारकर पंचायत की सूरत बदलने की ख्वाहिश रखकर जनता का वोट बटोरने की फिराक में हैं। नामांकन में मुखिया जी के मछली पार्टी पर भी अनुमण्डल प्रशासन का छापा पड़ चुका है।
इसी तरह राजगीर प्रखण्ड के गरौर पंचायत में भी तीस लाख तिरपन हजार के गबन में फंसे निवर्तमान मुखिया संतोष कुमार दिवाकर फिर से जनता का आशीर्वाद पाने मैदान में उतर पड़े हैं। यह मुखिया जी के जेलयात्रा के बाद पंचायत में उपमुखिया बनाकर विकास के अन्य कार्य सरकार की ओर से की गई।