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विलुप्ति के कगार पर पहुंची राजगीर का शालिग्राम, भरत और दुःखहरनी कुंड

राजगीर (नालंदा दर्पण)। राजगीर सनातन समागम की धार्मिक नगरी है, जिसकी  पहचान यहां के धार्मिक पौराणिक इतिहास से रही है, क्योंकि तैंतीस कोटि देवी देवताओं का यह पवित्र स्थल है जहां के कण कण में धार्मिक मान्यताएं जुड़ी हुई है।

जिन धार्मिक प्राचीन गाथाओं और संस्कृति सभ्यता से इस प्राचीन कालीन राजगीर की पहचान है, उन्ही धार्मिक धरोहरों को कालांतर में उपेक्षित रखा गया है।

Rajgir Shaligram Bharat and Dukhharni Kund reached the verge of extinction 3राजगीर में गर्म एवं ठंढे जल के 22 कुंड और 52 धाराएं है, जिनमें तीन कुंड शालिग्राम कुंड, भरत कुंड एवं दुखहरणी घाट विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी है और अब शासन प्रशासन के साथ साथ आम जनमानस की आंखों से ओझल भी होते जा रही है।

एक समय था, जब इन ठंडे जल  कुंडो में स्नान करने के लिए देश विदेश से लोग आते थे और धार्मिक पुण्य लाभ भी लेते थे।

राजगीर में तीन साल पर लगने वाले मलमास मेला में  देश विदेश से लोग यहां के बाइस कुंडो और बावन धाराओं में स्नान कर पुण्य लाभ लेते थे।Rajgir Shaligram Bharat and Dukhharni Kund reached the verge of extinction 1

लेकिन वर्तमान परिवेश में देश दुनिया और शासन से ओझल यह तीनो कुंड अपने उपेक्षा का दंश झेल रहा है और अस्तित्व बचाने के लिए जद्दोजहद कर रहा है।

राजगीर वैतरणी धाम के उतर  और राजगीर बस स्टैंड से दक्षिण पश्चिम दिशा में यह तीनो जल धाराएं उपेक्षा के कारण विलुप्त होने के हालात में आ गई है। इन स्थानों पर वर्तमान समय में आने जाने का सुगम रास्ता भी नही है।

राजगीर नगर परिषद के पूर्व पार्षद श्याम किशोर भारती ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को पत्र लिखकर भरत कुंड, शालिग्राम कुंड एवं दुख हरनी कुंड का जीर्णोद्वार, विकास एवं पहुंच पथ निर्माण की दिशा में आवश्यक कदम उठाने की मांग की है।

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