बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण डेस्क)। नालंदा जिले के नियोजित शिक्षकों की जांच में जुटी निगरानी अन्वेषण ब्यूरो की जांच के सात वर्षों में चंद फर्जी नियोजित शिक्षकों को ही पकड़ने में सफल रही है। वहीं बड़ी संख्या में फर्जी नियोजित शिक्षक या तो निगरानी जांच के लिए अपना फोल्डर ही उपलब्ध नहीं कराए गए हैं अथवा वे पैसा-पैरवी के तिकड़म लगाकर अब तक बचने में सफल रहे हैं।
निगरानी अन्वेषण ब्यूरो जांच से कहीं अधिक संख्या में फर्जी नियोजित शिक्षक तो सक्षमता परीक्षा में शामिल होने के चक्कर में पकड़े गए हैं। जबकि पूरे प्रदेश के नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्र संकलित किए गए तो बड़ी संख्या में गड़बड़ियां उजागर हुई। इससे सैकड़ो की संख्या में फर्जी शिक्षकों को निष्कासित किया गया। इनमें से बड़ी संख्या में शिक्षकों के एक ही टीईटी, एसटीईटी तथा बीटीईटी प्रमाण पत्र पर नियोजित होने का मामला सामने आया है।
नियोजित शिक्षकों के प्रमाण पत्रों के आधार पर पर नालन्दा फर्जी शिक्षकों को पकड़ने के लिए शिक्षा विभाग भी कड़ी मशक्कत की जिसमें बड़ी संख्या में फर्जी शिक्षक पकड़े भी गए हैं जिले में लगभग 9535 नियोजित शिक्षक हैं। इनमें से 7634 नियोजित शिक्षकों के द्वारा निगरानी जांच के लिए अपना फोल्डर दिया गया था।
फिलहाल, अबतक विभाग के द्वारा काफी मशक्कत के बाद जिले के लगभग 1577 नियोजित शिक्षकों के द्वारा अपने प्रमाण पत्रों को वेबसाइट पर डाला गया है। लेकिन 324 नियोजित शिक्षकों के द्वारा अब तक न तो निगरानी अन्वेषण ब्यूरो को अपना प्रमाण पत्र सौंपा गया है और न तो वेबसाइट पर ही प्रमाण पत्रों को अपलोड किया गया है। स्थिति यह है कि फर्जी शिक्षक भी असली शिक्षक बनते नजर आ रहे हैं।
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