राजगीर (नालंदा दर्पण)। हर साल गणेश चतुर्थी के मौके पर सिलाव थाना क्षेत्र अंतर्गत बुढ़वा गणेश की पत्थर से निर्मित प्रतिमा को लाकर सिलाव बाजार की पूजा पंडाल में स्थापित किया जाता है। जिसकी कहानी बड़ी अजीबोंगरीब बताई जाती है।
करीब 100 सालों से चली आ रही परंपरा के अनुसार सब्जी चौक के समीप बुढ़वा गणेश की पूजा अर्चना हो रही है। मूर्ति को महज 10 दिनों के लिए थाना से निकाला जाता है। इसके बाद विसर्जन के दिन मूर्ति को थाना पहुंचा दिया जाता है।
कहा जाता है कि बुढ़वा गणेश की प्रतिमा देश कीमती पत्थर से निर्मित है। मूर्ति पर तस्करों की नजर रहती है। कई बार तक मूर्ति चोरी का प्रयास कर चुके हैं। एक बार स्थानीय लोगों के जग जाने के कारण तस्कर भगवान गणेश की मूर्ति को रास्ते में छोड़कर फरार हो गए थे।
उसके बाद बुढ़वा गणेश की प्रतिमा को श्याम सरोवर ठाकुरबाड़ी के राधा कृष्ण मंदिर में भी रखा गया था। वहां से भी कई बार मूर्ति को चुराने का प्रयास किया गया। तब सुरक्षा के ख्याल से गांव के लोगों ने थाना परिसर में बने मंदिर में मूर्ति को सुरक्षित रखने का निर्णय लिया।
उसके बाद हर साल महज 10 दिनों के लिए बुढ़वा गणेश की प्रतिमा को थाने से सिलाव बाजार लाया जाता है और गणेश चतुर्दशी को नवनिर्मित पांडाल में उनकी स्थापना कर पूजा-अर्जना की जाती है। तथा विसर्जन के दिन उन्हें पुनः थाना पहुंचा दिया जाता है।
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