बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। आज बिहारशरीफ सदर अस्पताल में एक बड़ा मार्मिक दृश्य देखने को मिला। एक 70 वर्षीय बुजुर्ग पति को अपनी बीमार पत्नी को कंधे पर उठाकर पैदल चलते हुए देखा गया।
यह नजारा तब सामने आया, जब एम्बुलेंस कर्मियों ने अपनी वेतन और अन्य लंबित मांगों के चलते हड़ताल कर रखी है। दो महीने से वेतन न मिलने से नाराज एम्बुलेंस कर्मियों ने अपने डायल-102 नंबर वाहनों को अस्पताल परिसर में खड़ा कर दिया और हड़ताल पर बैठ हुए हैं।
एम्बुलेंस कर्मियों के हड़ताल के कारण मरीजों और उनके परिजनों को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। एम्बुलेंस सेवा ठप होने से सदर अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीज, जिन्हें पावापुरी मेडिकल कॉलेज रेफर किया जा रहा है, वे खुद ही निजी साधनों से जाने को मजबूर हो रहे हैं।
अस्पताल में पहुंची शोभा देवी सर्पदंश का शिकार हुई थीं। उसे प्राथमिक उपचार के बाद सदर अस्पाताल से हायर सेंटर रेफर किया गया। परंतु एम्बुलेंस सेवा न होने के कारण उनके परिजनों ने ऑटो किराए पर लेकर उन्हें पावापुरी मेडिकल कॉलेज तक पहुंचाया।
दूसरी ओर एक और दर्दनाक तस्वीर सामने आई। जहां रवींद्रनाथ नामक बुजुर्ग व्यक्ति अपनी बीमार पत्नी को कंधे पर उठाकर अस्पताल से बस स्टैंड की ओर पैदल ही निकलते नजर आए। वह अपनी पत्नी का इलाज करवाने सदर अस्पताल पहुंचे थे और इलाज के बाद उन्हें सरमेरा स्थित अपने गांव वापस लौटना था। एम्बुलेंस सेवा के अभाव में मजबूरन उन्हें पैदल चलना पड़ा।
एम्बुलेंस कर्मियों ने सरकार से अविलंब वेतन भुगतान और ईपीएफ-ईएसआईसी के बकाये के भुगतान की मांग की है। उनकी मांग है कि नई सेवा प्रदाता कंपनी में मौजूदा कर्मचारियों का समायोजन किया जाए।
हड़ताल के चलते मरीजों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। पर अस्पताल प्रशासन ने फिलहाल एम्बुलेंस सेवा के विकल्प के रूप में कोई व्यवस्था नहीं की है। जबकि इस हड़ताल से मरीजों और उनके परिजनों की हालत अत्यंत दयनीय हो गई है।
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