
नालंदा दर्पण डेस्क। बिहार शिक्षा विभाग ने एक ऐसा कारनामा कर दिखाया है, जिसने सभी को हैरान कर दिया है। सरकारी सेवा में तैनात कई शिक्षकों का तबादला अब निजी विद्यालयों में कर दिया गया है। इस अनोखे फैसले का खुलासा तब हुआ, जब प्रभावित शिक्षक निजी स्कूलों में जॉइनिंग के लिए पहुंचे। इस घटना ने शिक्षा विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े कर दिए हैं और विभागीय किरकिरी शुरू हो गई है।
विभागीय अधिकारियों का कहना है कि यह गड़बड़ी तबादला सूची में विसंगतियों के कारण हुई है। अधिकारियों ने इसे दुरुस्त करने के लिए उच्च स्तर पर मार्गदर्शन मांगा है।
सूत्रों के मुताबिक शिक्षक-शिक्षिकाओं के ऐच्छिक स्थानांतरण के पदस्थापन आदेश में कई खामियां सामने आई हैं। इन आदेशों के तहत कई सरकारी शिक्षकों को अनजाने में निजी स्कूलों में भेज दिया गया है।
उदाहरण के तौर पर, चनपटिया अंचल क्षेत्र के चूहड़ी बाजार में निजी तौर पर संचालित लोयला मिडिल स्कूल में तीन सरकारी शिक्षिकाओं का तबादला कर दिया गया है। ये शिक्षिकाएं पहले सरकारी स्कूलों में अपनी सेवाएं दे रही थीं। इस तरह के और भी मामले सामने आ रहे हैं, जहां सरकारी शिक्षकों को निजी संस्थानों में स्थानांतरित किया गया है।
इसी तरह का एक और मामला चनपटिया अंचल के ही भरपटिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में देखने को मिला। इस विद्यालय में पहले से ही 32 शिक्षक-शिक्षिकाएं कार्यरत हैं और कुल 1150 छात्र-छात्राएं नामांकित हैं।
हाल ही में जारी तबादला आदेश के तहत 11 नए शिक्षक-शिक्षिकाओं में से तीन ने योगदान दे दिया है। विद्यालय के प्रधानाध्यापक प्रभु राम ने इस पदस्थापन को छात्र-शिक्षक अनुपात के आधार पर सही ठहराया है। हालांकि कई अन्य स्कूलों में भी इसी तरह की विसंगतियां सामने आ रही हैं, जहां तबादला आदेश अभी तक पूरी तरह से लागू नहीं हुए हैं।
शिक्षा विभाग ने इस मामले को गंभीरता से लिया है और इसे तत्काल सुधारने की बात कही है। विभागीय सूत्रों के अनुसार तबादला प्रक्रिया में तकनीकी त्रुटियों को ठीक करने के लिए एक समीक्षा समिति गठित की जा सकती है। साथ ही जिन शिक्षकों का गलत स्थानांतरण हुआ है, उनके लिए जल्द ही संशोधित आदेश जारी करने की योजना है।
इस पूरे प्रकरण ने प्रभावित सरकारी शिक्षकों के बीच असमंजस की स्थिति पैदा कर दी है। कई शिक्षक यह समझ नहीं पा रहे हैं कि उन्हें निजी स्कूलों में जॉइन करना है या नहीं। वहीं निजी स्कूलों के प्रबंधन ने भी इस स्थिति पर हैरानी जताई है। उनका कहना है कि सरकारी शिक्षकों की नियुक्ति के लिए उनके पास कोई पूर्व सूचना नहीं थी।









