सूर्यनगरी बड़गांव छठ महोत्सव: साहित्य, संस्कृति और हास्य की तट पर नहाएगें लोग

राजगीर (नालंदा दर्पण)। विश्व प्रसिद्ध सूर्यनगरी बड़गांव अपनी प्राचीन सूर्य मंदिर और छठ पूजा की समृद्ध परंपराओं के लिए जाना जाता है। जोकि एक बार फिर सांस्कृतिक उत्सव की चमक से जगमगाने को तैयार है। स्थानीय युवाओं द्वारा संचालित सूर्यनारायण जागृति मंच (बड़गांव) ने प्रत्येक वर्ष की तरह इस बार भी ‘बड़गांव छठ महोत्सव’ को भव्य और दिव्य रूप देने की ठान ली है।
मंच की समन्वय समिति की हालिया बैठक में आयोजन की रूपरेखा पर विस्तृत चर्चा हुई, जिसमें युवा ऊर्जा और सांस्कृतिक उत्साह की झलक साफ दिखी। यह महोत्सव न केवल छठ व्रत की पवित्रता को बनाए रखेगा, बल्कि साहित्य, संगीत और संस्कृति के माध्यम से नई पीढ़ी को अपनी जड़ों से जोड़ेगा।
बैठक की अध्यक्षता मंच के मार्गदर्शक और चर्चित कवि संजीव मुकेश ने की, जिनकी कविताएं हमेशा सामाजिक जागृति और सांस्कृतिक संरक्षण की मिसाल पेश करती हैं। बैठक में मंच के सचिव पंकज कुमार सिंह, मीडिया प्रभारी बबलू सिंह और बड़गांव छठ महोत्सव के कार्यक्रम समन्वयक रोहित धन्नो सहित कई उत्साही सदस्य उपस्थित थे।
बैठक की शुरुआत मंच के अध्यक्ष अखिलेश कुमार ने सदस्यों का हार्दिक स्वागत और आभार व्यक्त करते हुए की। उन्होंने पिछले वर्ष के आयोजन की सफलता का श्रेय पूरी टीम को देते हुए कहा कि उनकी एकजुटता और समर्पण ने बड़गांव को छठ महोत्सव का एक अनूठा केंद्र बना दिया है। यह सफलता हमें और बेहतर करने की प्रेरणा देती है।
इस वर्ष की रूपरेखा पर गहन विचार-विमर्श हुआ, जिसमें सदस्यों ने उत्साहपूर्वक सुझाव दिए। सूर्यनारायण जागृति मंच के सदस्यों ने बताया कि महोत्सव का मुख्य आयोजन 26 अक्टूबर यानी खरना के पवित्र दिन बड़गांव धाम स्थित सूर्य तालाब के निकट होगा। यह स्थान न केवल प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर है, बल्कि सूर्य उपासना की प्राचीन परंपरा का प्रतीक भी है।
आयोजन को पिछले वर्षों से भी अधिक भव्य बनाने की तैयारियां जोर-शोर से शुरू हो चुकी हैं। हर वर्ष की तरह इस बार भी अखिल भारतीय कवि सम्मेलन और सांस्कृतिक संध्या का आयोजन होगा, जो दर्शकों को साहित्यिक और संगीतमय आनंद की अनुभूति कराएगा।
कवि सम्मेलन की सबसे रोचक बात यह है कि इसमें देश के चुनिंदा शालीन और प्रतिभाशाली कवियों को आमंत्रित किया गया है। मंच के मार्गदर्शक युवा कवि संजीव मुकेश ने बताया कि उनका उद्देश्य केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि साहित्य और संस्कृति के माध्यम से युवाओं को अपनी समृद्ध परंपराओं से जोड़ना है। इसलिए हम देश के चर्चित कवियों के साथ-साथ स्थानीय रचनाकारों को भी मंच प्रदान करते हैं।
इस बार कवि सम्मेलन में मुंबई से हास्य कविता के माहिर दिनेश बावरा, मेरठ के ‘खुश हो ना’ फेम हास्य कवि डॉ. प्रतीक गुप्ता, बिहार की बेटी के रूप में जानी जाने वाली चर्चित कवयित्री डॉ. तिष्या श्री और ओज की सशक्त हस्ताक्षर प्रियंका राय उर्फ ओम नंदिनी अपनी रचनाओं से समां बांधेंगे।
इसके अलावा स्थानीय प्रतिभाओं को बढ़ावा देने के लिए अयोध्या से युवा कवि दुर्गेश दुर्लभ, नवादा से ओंकार कश्यप और नालंदा की बेटी अनमोल अनुपम को भी आमंत्रित किया गया है। ये कवि अपनी रचनाओं से हास्य, ओज और भावनाओं का ऐसा संगम रचेंगे जो दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर देगा।
सांस्कृतिक संध्या की शोभा बढ़ाने के लिए टेलीविजन के लोकप्रिय संगीत शो ‘सारेगामापा’ के 2004 सीजन के उप-विजेता कुमार देवेश और उनकी टीम को बुलाया गया है। कुमार देवेश की मधुर आवाज और उनकी टीम की प्रस्तुति महोत्सव की भव्यता को चार चांद लगा देगी।
उनके साथ चर्चित गायिका प्रिया भी शामिल होंगी, जो अपनी सुरीली आवाज से छठ मइया की महिमा का गुणगान करेंगी। यह संगीतमय शाम छठ पूजा की भक्ति को और गहराई देगी, जहां पारंपरिक लोकगीतों और आधुनिक संगीत का अद्भुत मिश्रण देखने को मिलेगा।
अध्यक्ष अखिलेश कुमार, सचिव पंकज कुमार सिंह, कार्यक्रम समन्वयक रोहित धन्नो और मीडिया प्रभारी बबलू सिंह ने संयुक्त रूप से बताया कि इस बार भी 50 सूर्य सेवक मंच की टी-शर्ट और सत्यापित परिचय पत्र के साथ छठ व्रती माताओं की सेवा में तैनात रहेंगे। ये युवा व्रतियों की हर संभव मदद करेंगे, चाहे वह पानी उपलब्ध कराना हो या अन्य सहायता।
कार्यक्रम समाप्ति के बाद पंडाल को व्रती माताओं के ठहरने के लिए खोल दिया जाएगा, ताकि वे आराम से पूजा कर सकें। सुरक्षा और स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए मंच की ओर से एक फर्स्ट-एड बॉक्स की व्यवस्था भी की जाएगी, जिसमें आवश्यक दवाएं और प्राथमिक उपचार की सुविधा होगी।
सूर्यनारायण जागृति मंच के सदस्यों ने स्थानीय युवाओं से अपील की है कि वे इस मंच से जुड़ें और सांस्कृतिक विरासत को संरक्षित करने में योगदान दें। छठ महोत्सव की यह परंपरा सूर्य उपासना की ज्योति को नई पीढ़ी तक पहुंचाने का माध्यम है, जो आस्था, संस्कृति और एकता का प्रतीक है। महोत्सव की सफलता का एक बड़ा आधार सेवा भावना है।









