बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार में शिक्षक भर्ती के तीसरे चरण (TRE-3) के तहत चयनित उम्मीदवारों और प्रधान शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर एक बड़ी खबर सामने आई है। बिहार लोक सेवा आयोग (BPSC) द्वारा अनुशंसित लगभग 48,000 प्रधान शिक्षक-प्रधानाध्यापक और TRE-3 में चयनित 65,716 विद्यालय अध्यापकों की स्कूलों में तैनाती की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। शिक्षा विभाग ने इस दिशा में तैयारियां तेज कर दी हैं और अप्रैल 2025 में इन शिक्षकों की नियुक्ति या पदस्थापना को अंतिम रूप देने की योजना बनाई है।
शिक्षा विभाग ने इस प्रक्रिया को व्यवस्थित करने के लिए सबसे पहले चयनित प्रधान शिक्षकों, प्रधानाध्यापकों और विद्यालय अध्यापकों को जिला, प्रमंडल और प्रखंड स्तर पर आवंटन करने का फैसला किया है। इसके लिए एक पांच सदस्यीय उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। यह कमेटी नियुक्ति प्रक्रिया को सुचारू रूप से संपन्न करने के लिए रणनीति तैयार करेगी। कमेटी का नेतृत्व प्राथमिक शिक्षा निदेशक करेंगे। जबकि इसमें प्राथमिक शिक्षा के उप निदेशक संजय कुमार चौधरी, शिक्षा विभाग के संयुक्त सचिव अमरेश मिश्रा, माध्यमिक शिक्षा के उप निदेशक अब्दुस सलाम अंसारी और अपर राज्य परियोजना निदेशक रविशंकर सिंह बतौर सदस्य शामिल हैं।
सूत्रों के अनुसार अप्रैल 2025 में ही इन सभी शिक्षकों को स्कूल आवंटित किए जाएंगे और नियुक्ति पत्र वितरित करने की प्रक्रिया भी शुरू होगी। इसके साथ ही TRE-3 के तहत चयनित विद्यालय अध्यापकों की तैनाती के लिए स्कूलों में रिक्तियों का आकलन किया जा रहा है। इस बीच शिक्षकों के अंतर-जिला तबादलों की प्रक्रिया भी चल रही है। जिसके बाद रिक्त पदों की स्थिति और स्पष्ट हो जाएगी। रिक्तियों के आधार पर ही शिक्षा विभाग विद्यालय अध्यापकों की नियुक्ति की अंतिम रणनीति तैयार करेगा।
इस खबर से शिक्षक अभ्यर्थियों और चयनित उम्मीदवारों में उत्साह का माहौल है। लंबे समय से नियुक्ति की प्रतीक्षा कर रहे ये शिक्षक अब अपने कार्यक्षेत्र में योगदान देने को तैयार हैं। शिक्षा विभाग का मानना है कि इन नियुक्तियों से राज्य के सरकारी स्कूलों में शिक्षण व्यवस्था में सुधार होगा और छात्रों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा मिल सकेगी।
गठित कमेटी की जिम्मेदारी होगी कि वह नियुक्ति प्रक्रिया को पारदर्शी और समयबद्ध तरीके से पूरा करे। कमेटी जिला और प्रखंड स्तर पर स्कूलों की जरूरतों का आकलन करेगी और शिक्षकों का आवंटन इस तरह करेगी कि सभी क्षेत्रों में समान रूप से शिक्षक उपलब्ध हो सकें। इसके अलावा तबादलों के बाद उत्पन्न होने वाली रिक्तियों को भी प्राथमिकता के आधार पर भरा जाएगा।
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