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    Wednesday, October 9, 2024
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      राजगीर में मैट्रिक परीक्षा केन्द्रों पर मृत शिक्षक भी बने वीक्षक !

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। गुरुवार से राजगीर के नौ केन्द्रों पर जिला एवं अनुमंडल प्रशासन के अलावा शिक्षा विभाग द्वारा कदाचार मुक्त बोर्ड परीक्षा संचालन की तैयारी के बीच एक सनसनीखेज मामला प्रकाश में आया है।

      इस बार मैट्रिक बोर्ड की परीक्षा में शिक्षा विभाग द्वारा मृत शिक्षक को भी वीक्षक बनाया गया है। इतना ही नहीं जो शिक्षक स्कूल छोड़ चुके हैं। वैसे शिक्षकों को भी वीक्षक बनाने का रिकॉर्ड राजगीर के बीईओ और नालंदा के डीईओ ने बनाया है।

      यह सब सुनने में भले ही अटपटा लगे, किंतु शिक्षा विभाग द्वारा जारी पत्र से इसका खुलासा हुआ है। पत्र में मृत व नौकरी छोड़ चुके लोगों से भी इस बार मैट्रिक बोर्ड परीक्षा में वीक्षण कराने का निर्देश दिया गया है।

      जानकार बताते हैं कि वीक्षक ड्यूटी के लिये शिक्षकों के नामों की सूची बीईओ द्वारा डीईओ को उपलब्ध कराया जाता है। राजगीर के बीईओ के प्रभार में डीपीओ (माध्यमिक शिक्षा) मो शहाबुद्दीन हैं।

      बोर्ड परीक्षा को लेकर शिक्षा विभाग और प्रशासनिक अधिकारियों की जिम्मेदारी बढ़ गई है। लेकिन जिम्मेदार पदाधिकारी की लापरवाही से राजगीर प्रखंड में ऐसे शिक्षक को परीक्षा ड्यूटी में लगायी गया है, जिनकी मौत हो चुकी है। शिक्षा विभाग के अधिकारियों ने बिना सत्यापन के ड्यूटी लगा दी है। मृत शिक्षक और स्कूल छोड़ चुके शिक्षक की परीक्षा ड्यूटी में लगाये जाने से सभी हैरत में हैं।

      मृत शिक्षक दयानाथ झा को चक्रपाणि रेसिडेंसियल स्कूल में लगी ड्यूटीः राजगीर प्रखंड के एकेए प्लस टू स्कूल, अंडवस के संस्कृत शिक्षक दयानाथ झा निधन हो गया है। स्वर्गीय झा की ड्यूटी वीक्षक के रूप में चक्रपाणि रेसिडेंसियल स्कूल में लगायी गयी है। उनका निधन 12 दिसम्बर 2022 को ही हो चुका है।

      इसी तरह उसी स्कूल के पूर्व वरीय शिक्षक मो अर्शद हुसैन भी चक्रपाणि रेसिडेंसियल स्कूल परीक्षा केन्द्र पर ही वीक्षक ड्यूटी में लगायी गयी है। मो हुसैन वर्षों पूर्व प्राचार्य बनकर दूसरे स्कूल में चले गये हैं। यहां से रिलीव भी हो गये हैं। फिर भी उन्हें परीक्षा ड्यूटी में लगायी गयी है।

      स्वर्गीय झा की पत्नी मीना नाग के अनुसार बार बार वीक्षक ड्यूटी पत्र लेने के लिए उन्हें फोन किया जा रहा है। इस खबर से मृत शिक्षक के परिजन सकते में हैं।

      इधर जिम्मेवार अधिकारियों का कहना है कि रेंडमाइजेशन के चक्कर में ऐसा लेटर इश्यू हो गया है। मृतक और ट्रांसफर किये जा चुके शिक्षकों की भी ड्यूटी लग गयी है। मामला सामने आने के बाद सुधार किया जा रहा है।

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