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    Saturday, July 27, 2024
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      बिहारशरीफ सदर अस्पताल में नवजात की मौत मामले में सिविल सर्जन को लगी कड़ी फटकार

      नालंदा दर्पण डेस्क। बिहारशरीफ सदर अस्पताल में एक नवजात शिशु की मौत के मामले में बिहार स्वास्थ्य विभाग ने सिविल सर्जन को फटकार लगाई है। विभागीय अधिकारी ने कहा कि डॉक्टर अंजय कुमार, जो सदर अस्पताल में कार्यरत हैं, उन्होंने मरीज को अपने प्राइवेट क्लीनिक में ले जाकर 40 हजार रुपये फीस वसूली। बच्चे को एक दिन बाद सदर अस्पताल के एसएनएसयू में रखा गया, जहां उसकी मौत हो गई।

      मां को नहीं दी गई जानकारीः हैरानी की बात यह है कि बच्चे की मां को अगले दिन शाम तक यह भी नहीं बताया गया कि उसके बच्चे की मौत हो गई है। यह घटना बिहार में पहली नहीं है, पहले भी ऐसे कई मामले सामने आ चुके हैं।

      ऐसे डॉक्टरों व स्वास्थकर्मियो पर होगी कार्रवाईः स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि ऐसे डॉक्टरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। विभाग ने 109 डॉक्टरों की सूची तैयार की है, जिनके पास जीरो रजिस्ट्रेशन है। इनमें से 1200 डॉक्टरों को सेवामुक्त किया जा चुका है अन्य ऐसे डॉक्टरों को भी इस सूची में जोड़ने का काम किया जायेगा।

      नर्स पर भी आरोपः अधिकारी ने कहा की चौका देने वाली खास बात ये हैं की इस मामले में एक नर्स भी संलिप्त है, जो पहले से ही सेवामुक्त थी। उस पर एक बच्चे को गायब करने का आरोप भी है जो बच्चा आज तक नही मिला है। वह नर्स डॉक्टर अंजय के निजी क्लीनिक में काम कर रही थी। कैसे डॉक्टर अंजय ने उसे काम पर रखा था।

      सिविल सर्जन की लापरवाहीः अधिकारी ने कहा की जब सिविल सर्जन से इस घटना के बारे में पूछा गया तो उन्होंने एक वीडियो भेजा, जिसमें उन्होंने कहा कि बच्चा और मां दोनों ठीक हैं। जब उन्हें बच्चे का वीडियो भेजने के लिए कहा गया तो उन्हें पता चला कि बच्चे की मौत हो चुकी है।

      मानवता का सवालः स्वास्थ्य विभाग अधिकारी ने कहा है कि यह घटना मानवता को शर्मसार करने वाली है। सदर अस्पताल बिहारशरीफ के सभी डॉक्टरों और अधिकारियों को मानवता और नैतिकता का पालन करना चाहिए। अगर प्राइवेट प्रैक्टिस करना है तो जाइए वही कीजिए सरकारी पैसे, सरकारी तंत्र, सुविधाओ का दुरुपयोग कर ऐसे सघन अपराध बर्दास्त नहीं किया जायेगा।

      सरकारी अस्पताल में गरीबों का शोषणः विभाग के अधिकारी ने कहा है कि सरकारी अस्पताल में आपके या हमारे परिवार के लोग नही आते है, बल्कि गरीब लोग इलाज के लिए आते हैं और उनके साथ ऐसी शर्मनाक अपराध की एक मां से उसका बच्चा छीन लिया आप लोगो ने। इस घटना में मां को तीन दिन तक यह नहीं बताया गया कि उसके बच्चे की मौत हो गई है।

      यह घटना नालंदा के स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल खोलती है। और बराबर सूचना उपलब्ध होता है सदर अस्पताल में गरीब मरीज के परिवार से प्रसव वार्ड में परिजनों से अवैध बसुली होती बही सदर अस्पताल के इटेट वार्ड में भी जाँच होना चहिए। क्योंकि सदर अस्पताल की कुछ स्वास्थ्य कर्मी और नर्स भी इस काम में शामिल है। जिसकी भी जाँच होगी ।

      जिलाधिकारियों को निर्देशः वही ऐसे मामले को लेकर विभाग की ओर से बिहार के सभी जिलाधिकारियों को निर्देश दिया है कि वे ऐसे मामलों में सख्त कार्रवाई करें। उन्होंने कहा कि सरकार ऐसी घटनाओं को बर्दाश्त नहीं करेगी।

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