अन्य
    Monday, February 17, 2025
    अन्य

      नीतीश राज में सरकारी शिक्षा माफिया कैसे बन गया नालंदा का रजनीकांत प्रवीण!

      नालंदा के रजनीकांत प्रवीण का मामला न केवल सरकारी तंत्र की विफलता को उजागर करता है, बल्कि इस बात की भी ओर इशारा करती है कि ‘नीतीश राज’ में भी भ्रष्टाचार अब किस स्तर तक पहुंच चुका है…

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार की धरती पर भ्रष्टाचार की कहानियां नई नहीं हैं। लेकिन जीरो टॉलरेंस के ढिंढोरें पीटने वाले सीएम नीतीश कुमार उर्फ सुशासन बाबू के राज में नालंदा के रजनीकांत प्रवीण की काली कमाई की दास्तान ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। पश्चिम चंपारण के निलंबित जिला शिक्षा पदाधिकारी (डीइओ) रजनीकांत प्रवीण के ठिकानों पर छापेमारी में 3.52 करोड़ रुपये नकद बरामद हुए। जो एक आम आदमी की कल्पना से परे है।

      नालंदा के गिरियक प्रखंड के पोखरपुर गांव में जन्मे रजनीकांत प्रवीण का परिवार कभी साधारण शिक्षक परिवार था। उनके पिता राधिका रमन उत्क्रमित मध्य विद्यालय चोरसुआ से सेवानिवृत्त हुए हैं। रजनीकांत के भाई डॉ. कुंदन कुमार वर्तमान में समस्तीपुर के पटोरी प्रखंड में बीडीओ हैं। वे भी आलीशान जीवक हैं।

      गांव के लोगों का कहना है कि परिवार ने सरकारी नौकरी पाकर गांव छोड़ दिया था। उनके पास गांव में एक बीघा जमीन है। जो परती पड़ी रहती है। रजनीकांत कुछ समय पहले गांव आए थे। लेकिन वे सिर्फ जमीन खरीदने के लिए उसे देखने के दौरान कुछ ही घंटें घर पर रुके।

      बहरहाल विशेष निगरानी इकाई (एसवीयू) ने रजनीकांत प्रवीण और उनके परिवार के ठिकानों पर छापेमारी कर अबतक कुल 3.52 करोड़ रुपये कैश बरामद किया है। 3 करोड़ रुपये उनकी पत्नी सुषमा कुमारी के दरभंगा स्थित घर से मिले हैं। 50 लाख रुपये बेतिया स्थित आवास से जब्त हुए हैं। वहीं पटना, समस्तीपुर, दरभंगा और अन्य जिलों में दर्जनों महंगे जमीनों के दस्तावेज मिले है।

      रजनीकांत और उनके परिवार ने काली कमाई को होटल, परिवहन और रिसॉर्ट में भी निवेश किया है। उनकी पत्नी सुषमा कुमारी कभी संविदा शिक्षिका थीं। लेकिन आज दरभंगा में एक बड़े निजी स्कूल की निदेशक हैं।

      बताया जा रहा है कि डीईओ रहते हुए रजनीकांत प्रवीण ने स्कूल निरीक्षण को वसूली का माध्यम बना दिया था। निरीक्षण के नाम पर स्कूलों की उपस्थिति पंजी और अन्य दस्तावेज जब्त किए जाते थे। इसके बाद बिचौलियों के जरिए आरोपमुक्त कराने के लिए मोटी रकम वसूली जाती थी। प्रति शिक्षक 2000 रुपये, प्रति प्रधानाध्यापक (एचएम) 5000 रुपये यानि एक स्कूल से औसतन 50 हजार से 1 लाख रुपये तक की वसूली होती थी।

      रजनीकांत प्रवीण पर स्नातक और स्नातकोत्तर ग्रेड पे वाले शिक्षकों की पदोन्नति के नाम पर 1-1 लाख रुपये तक वसूलने का आरोप है। यह घोटाला उस वक्त बिहार भर में चर्चा का विषय बना था।

      इधर पोखरपुर गांव के लोग इस खबर से अवाक हैं। उनका कहना है कि रजनीकांत का परिवार साधारण था। लेकिन इतनी संपत्ति का खुलासा चौंकाने वाला है। ग्रामीणों को अब इस बात का मलाल है कि सरकारी नौकरियों की आड़ में शिक्षा माफिया बन चुके लोग पूरे तंत्र को दूषित कर रहे हैं।

      यह मामला केवल शिक्षा माफिया का नहीं, बल्कि सरकारी तंत्र में भ्रष्टाचार की जड़ों को उजागर करता है। बिहार सरकार और प्रशासन के लिए यह बड़ी चुनौती है कि ऐसी घटनाओं पर कैसे अंकुश लगाया जाए। क्योंकि शिक्षा विभाग में रजनीकांत प्रवीण सरीखे भ्रष्ट अफसरों के खेल फर्जी शिक्षक बहाली प्रक्ररण में खूब हुए हैं।

      LEAVE A REPLY

      Please enter your comment!
      Please enter your name here

      This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

      संबंधित खबर

      error: Content is protected !!
      Wildlife and nature zoo safari park in Rajgir, Nalanda, Bihar, India Bihar Sharif covered with red flags regarding Deepnagar garbage dumping yard in nalanda बिहारशरीफ नगर का रमणीक स्थान हिरण्य पर्वत जानें राजगीर ब्रह्म कुंड का अद्भुत रहस्य