राजगीर (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले के राजगीर प्रखंड के स्कूलों की लगातार जांच हो रही है। इससे स्कूलों के शिक्षकों और छात्रों की आने और जाने के टाइमिंग में काफी सुधार हुआ है। पहले स्कूलों में महीनों तक कोई जांच अधिकारी नहीं पहुंचते थे। तब शिक्षक और छात्र दोनों मनमाने समय से स्कूल आते और जाते थे।
लेकिन अब वैसा नहीं है। शिक्षकों के साथ बच्चों में भी एसीएस केके पाठक का डर सताने लगा है। शिक्षक और छात्र समय से स्कूल पहुंचने लगे हैं। अब सुबह नौ बजे से लेकर शाम पांच बजे तक प्रतिदिन तीन चार जांच अधिकारी स्कूल पहुंच रहे हैं। इस कारण शिक्षकों में भय अब स्थाई तौर पर बैठ गया है।
लगातार निरीक्षण होने से स्कूल में शिक्षकों और छात्रों की उपस्थिति में तो सुधार हुआ ही है। उनके ठहराव में भी काफी अंतर हुआ है। यह अब साफ-साफ दिखने लगा है पढ़ाई में सुधार होने संभावनाएं दिन पर दिन बढ़ने लगी है। शिक्षकों के मनमाने समय से स्कूल आने- जाने पर सख्ती दर सख्ती हो रही है।
यही कारण है कि शिक्षक निर्धारित समय से स्कूल आते और समय से ही जाते हैं। शिक्षकों की उपस्थिति में सुधार होने के बाद बच्चों की उपस्थिति भी बढ़ने लगी है। सरकारी स्कूलों में नामांकन की स्थिति गत वर्षों की अपेक्षा इस साल बेहतर स्थिति में होने की संभावना है।
पहले स्कूलों में हाजिरी बनाने के बाद अक्सर बच्चे भागने की जुगाड़ बैठाने लगते थे। काफी सख्ती के बाद भी टिफिन बाद स्कूलों में बच्चों का दर्शन दुर्लभ हो जाता था। कहीं कहीं सब्जेक्ट चेंज होने की घंटी बजना लगभग बंद हो चुकी थी। लेकिन जब से जांच का दायरा बढ़ा है।
सीएएस केके पाठक का डर शिक्षकों हुआ है। अब सरकारी स्कूलों के दिन भी बहुरने लगे हैं। चार दशक पहले की तरह फिर से शिक्षक रेगुलर स्कूल आने लगे हैं, उन्हें स्कूल के बाहर के बच्चों के नामांकन की जिम्मेदारी भी दी गयी है। अभिभावक भी जागरूक होने लगे हैं। इसलिए सरकारी स्कूलों के प्रति फिर से रुझान हुआ है।
अब पहले की तरह स्कूल बच्चों से गुलजार होने लगा है। स्कूलों के घंटियों की आवाज और कोलाहल फिर से सुनाई पड़ने लगी है। ग्रामीणों की माने तो पहले सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नहीं होती थी। इस कारण गरीब से गरीब लोग भी अपने बच्चों को प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाना चाहते थे।
लेकिन जब से सीएएस केके पाठक की सख्ती बढ़ी है, तब सरकारी स्कूलों की पढ़ाई में सुधार हुआ है। फिर से लोग प्राइवेट स्कूल से नाम कटवाकर सरकारी स्कूलों में बच्चों का नामांकन कराने लगे हैं।
ग्रामीणों ने बताया कि सरकार ने जब से स्कूल में जांच दल को लगाया है तब से काफी सुधार हुआ है। पहले तो ऐसी स्थिति बन गई थी कि गरीब अपने बच्चों के भविष्य को लेकर काफी चिंतित हो गए थे। लेकिन अब स्कूल में अधिकांश शिक्षक समय से स्कूल आने लगे हैं। बच्चों की पढ़ाई में भी धीरे-धीरे सुधार हो रहा है। इससे गरीब अभिभावकों का भी अब मान सम्मान बढ़ने की गुंजाइश होने लगी है।
बीआरपी के अनुसार प्रखंड के सभी स्कूलों का नियमित और सघन निरीक्षण किया जाता है। 9:00 बजे से 9:30 बजे तक प्रतिदिन दो से तीन स्कूलों की जांच एक बीआरपी द्वारा की जाती है। इस कारण शिक्षकों में अब लापरवाही की गुंजाइश समाप्त हो गई है।
बकौल बीआरपी, विशेष परिस्थितियों में भी अनुपस्थित पाए जाने पर शिक्षकों से स्पष्टीकरण पूछा जाता है। संतोष जनक जवाब नहीं मिलने पर उनकी विरुद्ध कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। शाम 4:00 बजे तक सभी सरकारी स्कूलों में छात्र और पांच बजे तक शिक्षक उपस्थित रहते हैं।
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