बिहारशरीफ मंडल कारा में कैदी की मौत की होगी न्यायिक जांच

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    बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। ब्राउन सुगर की तस्करी के आरोप में दीपनगर मंडल कारा में बंद आरोपित की मौत के बाद शहर में भारी बबाल मच गया। परिजन पुलिस पर ही हत्या का आरोप लग रहे हैं।

    Ruckus road jam arson obstruction DSP flashed pistol over the death of a prisoner in Mandal Jail.1नालंदा पुलिस अधीक्षक अशोक मिश्रा के अनुसार नारकोटिक्स का आरोपित की मौत न्यायिक अभिरक्षा में हुई है। पुलिस ने एनडीपीएस एक्ट में आरोपित को गिरफ्तार कर सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी करने के बाद मंडल कारा को सुपुर्द किया गया था। आरोपित का मेडिकल जांच भी कराया गया था। मेडिकल जांच रिपोर्ट में किसी प्रकार का खरोच नहीं बताया गया है।

    एसपी ने कहा कि गिरफ्तारी के 25 दिन बाद आरोपित की मौत कैसे हुई ? किस परिस्थिति में हुई? इसकी न्यायिक जांच की सिफारिश नालंदा पुलिस करेगी। फिलहाल यूडी केस दर्ज कर लिया गया है। पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

    एसपी ने बताया कि परिजन गिरफ्तारी के दिन ही गिरफ्तार करने गए पुलिस पदाधिकारी पर मारपीट कर हत्या का आरोप लगा रहे हैं। यह जांच का विषय है। अगर पुलिस मारपीट करती और शरीर का कोई अंग डैमेज हो जाता तो 25 दिनों तक जेल में कैसे सुरक्षित रह सकता था।

    उन्होंने बताया कि 25 दिनों के भीतर आरोपित ने कभी भी इलाज कराने की इच्छा जाहिर नहीं की। अब इस मामले की हर हाल में जांच कराई जायेगी। जांच में जो भी दोषी होंगे, कार्रवाई की जायेगी।

    जांच रिपोर्ट के बाद ही होगी कार्रवाई: उधऱ नालंदा जिलाधिकारी शशांक शुभंकर ने बताया कि मंडल कारा में नारकोटिक्स के आरोपित एक विचाराधीन बंदी की मौत की जानकारी मिली है। पूरे मामले की ज्यूडिशल एंक्वायरी कराई जाएगी ताकि पूरा मामला स्पष्ट हो सके।Ruckus road jam arson obstruction DSP flashed pistol over the death of a prisoner in Mandal Jail.111

    उन्होंने बताया कि ज्यूडिशल इंक्वारी की रिपोर्ट आने के बाद जिला प्रशासन कार्रवाई करेगी। इस मामले में जो भी दोषी पाए जाएंगे, उन्हें किसी भी कीमत में बख्शा नहीं जाएगा। जेल प्रशासन की लापरवाही की बात कही जा रही है। लेकिन जब तक रिपोर्ट नहीं आ जाती, इसके पहले कुछ कहा नहीं जा सकता।

    बता दें कि ब्राउन शुगर तस्करी के आरोप में मंडल कारा भेजे गए एक युवक की मौत न्यायिक अभिरक्षा में शुक्रवार की सुबह हो गई। मृत युवक बिहार थाना क्षेत्र के नईसराय मोहल्ले निवासी छोटे राम का पुत्र राजू कुमार है।

    इसके बाद बिहारशरीफ अस्पताल चौक पर गुस्साए परिजनों ने शव को रखकर जाम कर दिया, जिससे यातायात व्यवस्था पूरी तरह ठप हो गया। न्यायिक अभिरक्षा में आरोपित की मौत के बाद मृतक के परिजन और शुभचिंतक आग बबूला हो गए।

    उग्र लोगों ने अस्पताल चौक पर जमकर आगजनी, रोड़ेबाजी और तोड़फोड़ की, निजी वाहन टोटो को डैमेज कर घटनाओं को अंजाम दिया। इतना ही नहीं, मौके पर आई पुलिस गाड़ी को भी खदेड़ दिया।Ruckus road jam arson obstruction DSP flashed pistol over the death of a prisoner in Mandal Jail

    इसके बाद लहेरी, बिहार और सोहसराय थानाध्यक्ष दलबल के साथ पहुंचे लोगों को समझाने-बुझाने का प्रयास किया लेकिन बात नहीं बनी घटना स्थल पर सदर अनुमंडल पदाधिकारी अभिषेक पलासिया, सदर अनुमंडल पुलिस पदाधिकारी नुरुल हक पहुंचकर गुस्साए लोगों से बात की।

    इस दौरान डीएसपी नुरुल हक आक्रोशित लोगों को समझा-बुझाकर हटाने में असफल रहने के बाद अपनी पिस्टल निकालकर भीड़ को दौड़ाते दिखे। तब जाकर यातायात व्यवस्था चालू हो सका।

    परिजनों का आरोप है कि पुलिस द्वारा की गई मारपीट और प्रताड़ना से बिगड़ी तबीयत के बाद ही युवक की मौत न्यायिक अभिरक्षा में हुई है। परिजन इसके लिए सीधे तौर पर युवक को गिरफ्तार करने वाली पुलिस टीम आरोप पर लगा रहे हैं।

    मामला क्या थाः दरअसल विगत 10 मार्च को बिहार थाने की पुलिस ने थाना क्षेत्र के गौरागढ़ मोहल्ले से छोटे राम के पुत्र राजू कुमार हॉस्पिटल मोड़ पर आगजनी करते लोग। सहित छह लोगों को 39 पुड़िया ब्राउन शुगर, 28 हजार रुपए नगद के साथ गिरफ्तार किया था।

    Ruckus road jam arson obstruction DSP flashed pistol over the death of a prisoner in Mandal Jail.11मृतक का बड़ा भाई संतोष कुमार ने बताया कि भाई घर के दरवाजे पर बैठा हुआ था। शक के आधार पर पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। पुलिस 8 मार्च को ही गिरफ्तार कर थाने पर ले ई।

    उनका कहना है कि 24 घंटे के भीतर ही अभियुक्त को जेल भेज दिया जाना चाहिए था लेकिन बिहार थाने की पुलिस 48 घंटे के बाद जेल भेजी। इस दौरान भाई को भीषण तरीके से टॉर्चर किया गया। मारपीट की गई, जिससे वह गंभीर रूप से जख्मी हो गया,

    यहां तक कि अंडकोष एवं मूत्र अंग को भी डैमेज कर दिया गया जिससे तेज गति से खून का रिसाव होने लगा। जेल प्रशासन पर भी इलाज में लापरवाही बरतने का आरोप लगाया गया है। साथ ही मृतक राजू टीबी का रोगी था, जिसे दवा देने के लिए जेल भी गए थे लेकिन जेल की पुलिस ने दवा भेजने से इन्कार कर दिया।

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