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केके पाठक की इंट्री से गोरखपुर में हड़कंप, बेतिया राज से जुड़ा है मामला

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KK Pathak's entry causes a stir in Gorakhpur, the matter is related to Bettiah Raj
KK Pathak's entry causes a stir in Gorakhpur, the matter is related to Bettiah Raj

“बिहार राजस्व विभाग की इस सक्रियता ने जमीन विवादों को सुलझाने की एक नई पहल की है। यदि बिहार सरकार इस जमीन को अपने कब्जे में ले पाती है, तो यह ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण कदम होगा….”

पटना (नालंदा दर्पण)। बेतिया राज की ऐतिहासिक जमीन पर बिहार सरकार ने अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए सक्रिय कदम उठाए हैं। बिहार राजस्व परिषद अध्यक्ष और चर्चित आईएएस अधिकारी केके पाठक ने उत्तर प्रदेश के गोरखपुर में जाकर बेतिया राज की जमीन का निरीक्षण किया। इस दौरान उन्होंने गोरखपुर के जिलाधिकारी के साथ बैठक कर जमीन के मौजूदा हालात की समीक्षा की।

51 एकड़ जमीन का मामला, गोरखपुर बना चर्चा का केंद्रः गोरखपुर के पॉश इलाकों में बेतिया राज की लगभग 51 एकड़ जमीन है। इसमें से कुछ हिस्सों पर सरकारी इमारतें, आवासीय कॉलोनियां, स्कूल और सड़कें बनाई जा चुकी हैं। जबकि बाकी जमीन पर निजी मकानों का निर्माण हो चुका है। इस मुद्दे पर सक्रियता बढ़ने के बाद गोरखपुर में जमीन पर कब्जा रखने वालों में बेचैनी देखी जा रही है।

यूपी में तैनात हुए राजस्व अधिकारी और अमीनः राजस्व परिषद ने उत्तर प्रदेश में बेतिया राज की जमीन की देखरेख और सर्वेक्षण के लिए एक विशेष टीम गठित की है। इसके तहत गोरखपुर में राजस्व अधिकारी बद्री प्रसाद गुप्ता और पांच अमीन- रामानंद प्रसाद, सुनील यादव, अभय कुमार, नीरज कुमार और संतराज कुमार की तैनाती की गई है। इन अधिकारियों का काम जमीन की माप-जोख और वास्तविक स्थिति का आकलन करना है।

बिहार सरकार का बड़ा कदमः बिहार सरकार ने बेतिया राज की संपत्ति को वापस सरकारी कब्जे में लेने के लिए विशेष कानून बनाया है। इस कानून के तहत अब बिहार और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में बेतिया राज की जमीनों की खोजबीन और पुनः अधिग्रहण किया जा रहा है।

गोरखपुर में जमीन का ऐतिहासिक महत्वः गोरखपुर में स्थित बेतिया राज की जमीन पर सरकारी परिसरों, आवासीय कॉलोनियों और सार्वजनिक सुविधाओं का निर्माण हो चुका है। इसमें मंडलायुक्त आवास परिसर, अधिकारियों के आवास, आवास विकास कॉलोनी, स्कूल, सड़क और पानी की टंकी शामिल हैं। इन उपयोगों ने जमीन को महत्वपूर्ण बना दिया है।

जमीन पर कब्जा रखने वालों की बढ़ी चिंताः बिहार सरकार की सक्रियता और केके पाठक के निरीक्षण के बाद जमीन पर कब्जा रखने वालों में खलबली मच गई है। कई लोग अपने दस्तावेजों को वैध साबित करने की कोशिश में जुट गए हैं। वहीं, सरकार ने यह साफ कर दिया है कि बेतिया राज की जमीन का हर इंच बिहार की संपत्ति है और इसे वापस लिया जाएगा।

केके पाठक का सख्त संदेशः राजस्व परिषद के अध्यक्ष केके पाठक ने स्पष्ट किया कि बेतिया राज की जमीन पर किसी भी प्रकार का अवैध कब्जा बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह जमीन बिहार की ऐतिहासिक धरोहर है और इसे बचाने के लिए हर संभव कदम उठाए जाएंगे।

बिहार-यूपी में कानूनी विवाद की संभावनाः बेतिया राज की जमीन को लेकर बिहार और उत्तर प्रदेश के बीच कानूनी विवाद बढ़ने की संभावना है। बिहार सरकार ने गोरखपुर में जमीन का पूरा सर्वेक्षण और रिकॉर्ड तैयार करने के लिए विशेष टीम भेजी है। वहीं यूपी प्रशासन ने भी मामले में संयम से काम लेने का संकेत दिया है।

क्या है बेतिया राज की जमीन का ऐतिहासिक महत्वः बेतिया राज की जमीन ऐतिहासिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही है। यह संपत्ति पश्चिमी चंपारण के बेतिया राजघराने से जुड़ी है, जिसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में भी योगदान दिया। लेकिन वर्तमान में इसका एक बड़ा हिस्सा बिहार और यूपी के विभिन्न हिस्सों में फैला हुआ है।

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