“बिहार में पहली बार नर्सरी नीति बनाने की योजना भी शुरू की गई है। अभी तक बिहार के अधिकांश फल और फूलों के पौधे बेंगलुरु, कोलकाता, पुणे, दिल्ली, लखनऊ और रायपुर जैसे स्थानों से मंगाए जाते हैं…
बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के जीवन को आसान बनाने और कृषि क्षेत्र को आधुनिक तकनीकों से जोड़ने के उद्देश्य से एक माडर्न डिजिटल कृषि निदेशालय की स्थापना की घोषणा की है। इस पहल का मुख्य उद्देश्य योजनाओं का लाभ किसानों तक सही समय पर पहुंचाना और कृषि प्रक्रियाओं को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है।
निदेशालय के माध्यम से किसानों के खातों में अनुदान राशि बिना किसी देरी के सीधे स्थानांतरित की जाएगी। इसके अलावे डिजिटल मिट्टी हेल्थ कार्ड, ड्रोन तकनीक और खेती से संबंधित अन्य अत्याधुनिक तकनीकों को किसानों तक पहुंचाया जाएगा। यह कदम फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि के लिए बेहद मददगार साबित होगा।
कृषि विभाग की सभी योजनाओं का डिजिटलीकरण इसी निदेशालय के अंतर्गत किया जाएगा। फसल कटाई से लेकर आंकड़ों के संग्रहण तक की जिम्मेदारी भी इस निदेशालय की होगी। इसके लिए एक इंटीग्रेटेड पोर्टल तैयार किया जाएगा, जो कृषि संबंधी आंकड़ों का गहन विश्लेषण करेगा।
कृषि विभाग के डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) पोर्टल पर पहले से लगभग दो करोड़ किसान पंजीकृत हैं। निदेशालय के माध्यम से अब इन किसानों तक योजनाओं का लाभ पहुंचाना और भी आसान हो जाएगा। किसान सम्मान निधि समेत अन्य योजनाओं की राशि सीधे इन पंजीकृत किसानों के खातों में स्थानांतरित की जाएगी।
राज्य में पहली बार नर्सरी नीति बनाने की योजना भी शुरू की गई है। अभी तक बिहार के अधिकांश फल और फूलों के पौधे बेंगलुरु, कोलकाता, पुणे, दिल्ली, लखनऊ और रायपुर जैसे स्थानों से मंगाए जाते हैं। नर्सरी नीति के अंतर्गत पौधों की दर, गुणवत्ता और अन्य मानकों को परिभाषित किया जाएगा। सरकार यह तय करेगी कि पौधे कहां से खरीदे जाएंगे और इसके बदले में क्या प्रावधान होंगे।
इस पहल के तहत न केवल किसानों की समस्याओं का समाधान होगा, बल्कि बिहार कृषि क्षेत्र को तकनीकी और आर्थिक रूप से सशक्त बनाने की दिशा में भी एक बड़ा कदम उठाएगा। राज्य के किसानों की आय बढ़ाने और उन्हें आत्मनिर्भर बनाने की यह योजना बिहार की प्रगति में मील का पत्थर साबित हो सकती है।
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