Nalanda PACS scam: खरीफ विपणन बना कमाई का जरिया, दो पैक्स में 1.50 करोड़ की हेराफेरी

हिलसा (नालंदा दर्पण)। Nalanda PACS scam: सरकार की महत्वाकांक्षी धान अधिप्राप्ति योजना का उद्देश्य किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाना है, लेकिन नालंदा जिले में कतिपय पैक्स अध्यक्षों के लिए यह निजी लाभ का साधन बन गई है।
नालंदा जिले में पिछले सात-आठ वर्षों में धान अधिप्राप्ति से जुड़े कई घोटाले और गबन के मामले सामने आए हैं, जहां योजना के तहत दी गई सुविधाओं का दुरुपयोग किया गया। इस्लामपुर के रानीपुर और इचहोस पैक्स इसका ताजा उदाहरण हैं, जहां खरीफ विपणन में लगभग 1.50 करोड़ रुपये की हेराफेरी का मामला उजागर हुआ है।
रानीपुर पैक्स में धान अधिप्राप्ति के नाम पर बड़े पैमाने पर गबन किया गया। भौतिक सत्यापन के दौरान गोदाम में पर्याप्त मात्रा में धान नहीं मिला, न ही पैक्स ने भारतीय खाद्य निगम (एफसीआई) को समतुल्य सीएमआर (कस्टम मिल्ड राइस) उपलब्ध कराया।
इस मामले में पैक्स अध्यक्ष सच्चिदानंद कुमार सिंह, प्रबंधक पंकज कुमार और कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों के खिलाफ 2023 में प्राथमिकी दर्ज की गई। कुछ सदस्यों की गिरफ्तारी भी हुई, लेकिन अध्यक्ष सच्चिदानंद कुमार सिंह जमानत पर रिहा हुए, इस शर्त पर कि वे छह महीने में ब्याज सहित 36 लाख रुपये की बकाया राशि नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को लौटाएंगे। वर्तमान में यह बकाया ब्याज सहित 41 लाख रुपये हो गया है, जो अभी तक चुकाया नहीं गया है।
इसी तरह इचहोस पैक्स में भी धान अधिप्राप्ति के दौरान 1.12 करोड़ रुपये के गबन का मामला सामने आया है। पैक्स अध्यक्ष सतीश प्रसाद, प्रबंधक संजय पासवान और कार्यकारिणी के अन्य सदस्यों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई। लेकिन इस मामले में अभी तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है। इस ढिलाई के कारण जिले में गबन और घोटालों के मामले बढ़ते जा रहे हैं, जिससे नालंदा सेंट्रल को-ऑपरेटिव बैंक को भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है।
हालांकि यह पहली बार नहीं है कि जब धान अधिप्राप्ति में अनियमितताएं सामने आई हैं। खरीफ विपणन मौसम 2016-17 में जिले के 25 पैक्स अध्यक्षों ने लगभग 24,033 क्विंटल चावल का गबन किया था।
जांच में खुलासा हुआ कि कई पैक्स अध्यक्षों ने फर्जी रसीदें बनाकर चावल जमा करने का दावा किया, जबकि वास्तव में चावल जमा नहीं किया गया। कुछ मामलों में तो स्कूटर, बाइक और बसों के जरिए चावल आपूर्ति दिखाने का फर्जीवाड़ा किया गया।
इस घोटाले में विभागीय अधिकारियों, पैक्स अध्यक्षों और मिलरों की मिलीभगत भी सामने आई थी। तत्कालिक राज्य खाद्य निगम के प्रबंधक रामबाबू ने राज्य भंडार निगम के अधीक्षक रंजीत कुमार, कार्यपालक सहायक अभय कुमार, मिलर दिनेश कुमार और अन्य अज्ञात पैक्स अध्यक्षों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई थी। हालांकि वर्षों बाद भी इस मामले में कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
जिले में धान अधिप्राप्ति का कार्य पैक्स और व्यापार मंडलों के माध्यम से किया जाता है, लेकिन कई पैक्स डिफॉल्टर बन चुके हैं। इसके बावजूद इनके अध्यक्षों पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं हो रही है।
यह स्थिति न केवल सरकारी योजना की विश्वसनीयता को कम कर रही है, बल्कि किसानों को भी उनकी मेहनत का उचित मूल्य मिलने में बाधा उत्पन्न कर रही है। धान अधिप्राप्ति जैसे महत्वपूर्ण कार्य को कुछ पैक्स अध्यक्षों ने अपनी निजी कमाई का जरिया बना लिया है।
बहरहाल, नालंदा जिले में धान अधिप्राप्ति घोटाले सरकार की कल्याणकारी योजनाओं पर सवाल उठाते हैं। इन मामलों में सख्त कार्रवाई और पारदर्शी व्यवस्था की जरूरत है। ताकि किसानों को उनकी उपज का उचित मूल्य मिल सके और सरकारी योजनाओं का दुरुपयोग रोका जा सके।









