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    Tuesday, December 3, 2024
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      भगवान बुद्ध शैली में मानसिक शांति का वैश्विक केंद्र बना नालंदा विपश्यना

      राजगीर (नालंदा दर्पण)। भागदौड़ भरी जिंदगी में मानसिक शांति की तलाश में नालंदा विपश्यना सेंटर देश-विदेश के लोगों के लिए एक प्रमुख आकर्षण बनता जा रहा है। नवनालंदा महाविहार द्वारा संचालित इस सेंटर में हर महीने की 2 तारीख से 10-दिवसीय विपश्यना ध्यान साधना कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है। जिसमें जीवन जीने की कला सिखाई जाती है। दिलचस्प बात यह है कि इस सेंटर की अगले छह महीनों की सभी सीटें पहले ही बुक हो चुकी हैं, जो इसके बढ़ते प्रभाव और लोकप्रियता का प्रतीक है।

      विपश्यना ध्यान की प्राचीनता और महत्वः करीब ढाई हजार साल पहले महात्मा बुद्ध द्वारा खोजी गई विपश्यना ध्यान साधना, मन की अशुद्धियों को दूर करने और मानसिक शांति प्रदान करने का एक प्राचीन तरीका है। ऐसा माना जाता है कि भगवान बुद्ध ने इसी ध्यान पद्धति से बुद्धत्व की प्राप्ति की थी। नालंदा समेत पूरे बिहार में इस पद्धति का विशेष महत्व है और बिहार में तो इसके लिए 15 दिनों की सरकारी छुट्टी भी दी जाती है, जिससे विपश्यना साधना के प्रति लोगों की बढ़ती रुचि का अंदाजा लगाया जा सकता है।

      मेडिटेशन सेंटर में विशेष दिनचर्याः नालंदा विपश्यना सेंटर में ध्यान कार्यक्रम के दौरान सुबह 4 बजे से रात 9:30 बजे तक की कड़ी दिनचर्या होती है, जिसमें सिर्फ ध्यान साधना पर जोर दिया जाता है। यहाँ किसी प्रकार के मंत्र जाप या धार्मिक अनुष्ठानों की जरूरत नहीं होती, बल्कि सारा ध्यान मन को शांत और स्थिर बनाने पर केंद्रित रहता है। एक बार में केवल 40 लोगों को ही इस ध्यान साधना कार्यक्रम में भाग लेने की अनुमति मिलती है, जिसमें 20 से 60 प्रतिशत तक विदेशी लोग भी होते हैं।

      विपश्यना के प्रति विदेशी आकर्षणः नालंदा का यह सेंटर वियतनाम, म्यांमार, उत्तरी अमेरिका, यूरोप, ऑस्ट्रेलिया और मध्यपूर्व जैसे कई देशों के लोगों को आकर्षित करता है। विपश्यना साधना के लिए कोई धर्म, जाति या संप्रदाय की सीमा नहीं होती है। इससे यह पूरी दुनिया के लोगों के लिए एक अनूठा और आकर्षक साधन बन गया है। इसके संचालन के लिए धनराशि पुराने साधकों द्वारा स्वेच्छा से दिए गए दान से आती है, जिससे इसकी समाजिक सहभागिता और समर्थन स्पष्ट होती है।

      विपश्यना की बढ़ती मांग और प्रभावः इस सेंटर के इंचार्ज डॉ. धम्म ज्योति कहते हैं कि यह सेंटर मानसिक शांति और रोगों से मुक्ति के लिए एक प्रभावी उपाय प्रदान कर रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि साल में कम से कम 10 दिनों के लिए विपश्यना मेडिटेशन करने से मानसिक तनाव और रोगों से बचा जा सकता है। इस बढ़ती मांग का प्रमाण है कि आने वाले छह महीनों के लिए नालंदा विपश्यना सेंटर की सभी सीटें पहले ही बुक हो चुकी हैं।

      नालंदा विपश्यना सेंटर बना एक धरोहरः यह केंद्र नालंदा खंडहर से एक किलोमीटर दूर स्थित है, जहाँ का वातावरण ध्यान साधना के लिए अत्यंत अनुकूल है। चारों ओर की शांति और धम्म की ऊर्जा साधकों को मानसिक शांति प्रदान करती है। यहां विदेशी भाषाओं में भी विपश्यना साधना कराई जाती है, जिससे दुनियाभर से आए लोग आसानी से इस साधना में भाग ले सकते हैं।

      इस सेंटर का निकटतम हवाई अड्डा गया और पटना है, जो यहां आने वाले यात्रियों के लिए सुविधाजनक है। विपश्यना की यह परंपरा आधुनिक जीवनशैली में मानसिक स्वास्थ्य और सुख-शांति की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

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