Wednesday, April 23, 2025
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चंडी में धन-बल रहा हावी, फिर भी 13 में 11 मुखिया हारे, 1 जिपस की भी गई कुर्सी

नालंदा दर्पण डेस्क। चंडी प्रखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव के सभी 13 पंचायतों, दो जिला परिषद सीट का चुनाव परिणाम सामने आ चुका है।

प्रखंड में सिर्फ दो पंचायतों के ही मुखिया अपने सीट बरकरार रखने में सफल रहें, जबकि 11 पंचायतों में नये चेहरे पर मतदाताओं ने भरोसा किया है।

वहीं परिणाम जिला परिषद के पश्चिमी सीट पर रहा यहां भी बदलाव देखने को मिला जबकि पूर्वी से सीट बरकरार रही है।

चंडी प्रखंड में वार्ड,पंच सदस्य से लेकर जिला परिषद सदस्य के आएं परिणाम ने साबित कर दिया है कि हर जगह जाति का फैक्टर काम किया है तो कहीं धनबल हावी रहा।

वोट खरीदने का होड़ प्रत्याशियों के बीच खूब चला। वोटरों को पैसे का प्रलोभन और विकास का सब्जबाग दिखाकर लुभाने का प्रयास भी चला।

चुनाव परिणाम को देखें तो साफ जाहिर हो रहा है कि जिसने जितना धन उड़ेला उसे उतना ही वोट नसीब हुआ।

जो वोटर को वोट दिखाने‌ से चूके, उन्हें जीत से भी हाथ धोना पड़ा। इस पंचायत चुनाव में धन्नासेठों का काफी बोलबाला रहा। विकास का मुद्दा गौण रहा।

पंचायतों में विभिन्न पदों पर जीते हुए उम्मीदवार को देखें तो गांव जेवार में सरल स्वभाव, ईमानदार प्रवृत्ति के जनप्रतिनिधि की कमी खलती देखी गई।

चंडी प्रखंड में मुखिया पद के लिए सिर्फ तीन उम्मीदवार ही चुनाव जीतकर वापसी की। तुलसीगढ़,और अरौत के मुखिया ही अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

जबकि पिछले बार सिर्फ एक रूखाई पंचायत की मुखिया ही अपनी सीट बचाने में कामयाब रही थी। लेकिन इस बार वह भी हार गई।

महकार पंचायत के निवर्तमान मुखिया शिवेंद्र प्रसाद तीसरे नंबर पर चलें गये। यहां से कुमार अजय सिन्हा ने बाजी मारी

वहीं हसनी पंचायत से भी निवर्तमान मुखिया श्रवण पंडित को मुंह की खानी पड़ी। यहां से युवा प्रत्याशी भारत भूषण सिंह ने बाजी मार ली।

माधोपुर पंचायत में भी मतदाताओं ने दो पूर्व मुखिया को खारिज कर नये और गैर कुर्मी उम्मीदवार पर विश्वास जताया है। यहां से निवर्तमान मुखिया भूषण प्रसाद तीसरे नंबर पर रहे।

जबकि इन्होंने नामांकन में भीड़ की ताकत दिखाई थी। लेकिन मतदान के दौरान भीड़ ने साथ नहीं दिया। यहां से आत्माराम ने बड़े अंतर से जीत हासिल की।

रूखाई पंचायत से अंजलि देवी का चौथी बार मुखिया बनने की हसरत धरी की धरी रह गई। यहां जातीय गोलबंदी की वजह से उन्हे हार का सामना करना पड़ा। नवसृजित अमरौरा पंचायत से प्रमोद साव ने जीत हासिल की।

तुलसीगढ़ पंचायत से मणिकांत मनीष ने फिर बाजी मारी। यहां से भूषण प्रसाद महज 41 मतो से चुनाव हार गए। नरसंडा़ पंचायत से दिवंगत मुखिया राजबल्लभ सिंह की पत्नी रिंकू सिन्हा अपने पति की सीट बचाने में सफल रही।

बेलछी पंचायत में भी परिवर्तन देखने को मिला। यहां भी मुखिया मृत्युंजय कुमार को हार नसीब हुआ।अरौत से मुखिया बबीता कुमारी अपनी सीट बचाने में सफल रही।

गंगौरा पंचायत से भी निवर्तमान मुखिया सूर्यदेव पासवान को तीसरे स्थान पर संतोष करना पड़ा। यहां से जाने माने और पूर्व जिला परिषद अध्यक्ष के पति अनिरूद्ध चौधरी उर्फ लाटो चौधरी ने जीत हासिल की।

सालेपुर पंचायत से संगीता देवी ने जीत हासिल की। सिरनावां पंचायत से मुखिया अनिता देवी को हार का स्वाद चखना पड़ा। उन्हें मंजू देवी ने हराया।

जिला परिषद पश्चिमी सीट से अनिता सिन्हा को बड़े अंतर से हार का सामना करना पड़ा। यहां से पिंकी कुमारी ने लगभग 900 मतों से जीत हासिल की तो पूर्वी क्षेत्र से निरंजन मालाकार अपनी सीट बचाने में कामयाब रहे।

उन्होंने बड़े अंतर से लगभग 3500 मतों से नरसंडा को प्रखंड बनाओं संयोजक कौशल कुमार को हराया।

फिलहाल चंडी प्रखंड में त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव समाप्त हो गया है। आनेवाले समय में निर्वाचित जनप्रतिनिधियों को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा।

मतदाताओं ने जहां नोट के बल पर जनप्रतिनिधि चुना वहां विकास के कितने कार्य होते हैं, वहीं जनप्रतिनिधियों ने चुनाव जीतने के लिए जितने खर्च किये, उसकी वसूली विकास के साथ करते हैं या लूट खसोट के साथ। मतदाता कितने छले जाएंगे, इसका आंकलन पांच साल बाद ही होगा।

 

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