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    Saturday, September 7, 2024
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      पीएचसी बना सीएचसी, लेकिन स्वास्थ्य सेवा ढर्रा वहीं पुरानी

      बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। नालंदा जिले में बेहतर चिकित्सा सेवा प्रदान करने के लिए सरकार की ओर से पीएचसी को अब सीएचसी के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है। यहां अब तक छह से अधिक पीएचसी को सीएचसी के रूप में अपग्रेड किया जा चुका है।

      आश्चर्य की बात है कि पीएचसी को सीएचसी का दर्जा तो प्राप्त हो तो गया है, लेकिन सुविधाएं अभी भी पीएचसी जैसी ही मिल पा रही हैं। क्योंकि सीएचसी में मानक के अनुरूप सरकार की ओर से डॉक्टरों की तैनाती नहीं हो पायी है। पीएचसी में पूर्व से कार्यरत डॉक्टर ही सेवा प्रदान कर रहे हैं।

      सीएचसी में है 30 बेड की व्यवस्थाः पीएचसी को अपग्रेड कर छह से अधिक को सीएचसी का दर्जा दिया जा चुका है। सीएचसी में 30 बेड की व्यवस्था की गयी है। सीएचसी में 30 बेड तो लग गये। मगर उनमें मानक के अनुरूप डॉक्टर तैनात नहीं किए गए हैं।

      बताया जाता है कि सीएचसी में दस से बारह डॉक्टर होने चाहिए, पर एक भी सीएचसी में इतनी संख्या में अभी डॉक्टर पदस्थापित नहीं हैं। लिहाजा रोगियों को अभी भी पीएचसी जैसी ही सुविधाएं मिल रही हैं।

      वर्तमान में संचालित सीएचसीः नालंदा जिले में 20 पीएचसी हैं, जिसमें रहुई, सरमेरा, गिरियक, इस्लामपुर, एकंगरसराय को सीएचसी का दर्जा मिल चुका है। वे अब सीएचसी के रूप में कार्य कर रहे हैं।

      लेकिन चिकित्सीय सुविधाओं में कोई वृद्धि नहीं देखी जा रही है। क्योंकि विशेषज्ञ चिकित्सकों की तैनाती नहीं हो पायी है। लिहाजा रोगी अभी भी बेहतर सेवा के लिए बिहार शरीफ सदर अस्पताल आने को विवश हो रहे हैं।

      सरमेरा सीएचसी में महिला डॉक्टर नहीं: सरमेरा सीएचसी में 12 डॉक्टर की जगह फिलहाल केवल 4 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं। यहां 16 जीएनएम की जगह 5 जीएनएम ही पदस्थापित हैं। यहां डॉक्टरों की काफी कमी है।

      स्थिति यह है कि इस अस्पताल में सामान्य महिला डॉक्टर एक भी पदस्थापित नहीं हैं। लिहाजा महिला रोगियों को इलाज में खासे परेशानी झेलनी पड़ रही है। यहां पर 40 बेड की व्यवस्था है। जिसमें से 15-15 महिला पुरुष, नौ प्रसूताओं और एक इमरजेंसी के लिए बेड उपलब्ध हैं।

      ओपीडी में हर दिन करीब 125 से लेकर 150 रोगी इलाज के लिए पहुंचते हैं। सीएचसी प्रभारी के अनुसार सीएचसी में बेड तो पर्याप्त रूप से उपलब्ध हैं। पर यहां महिला डॉक्टर नहीं हैं। इसकी सूचना जिला स्वास्थ्य विभाग को दी जा चुकी है। फिलहाल उपलब्ध संसाधनों से रोगियों को चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है।

      इस्लामपुर सीएचसी में 12 की जगह 8 डॉक्टरः इस्लामपुर सीएचसी में भी डॉक्टरों की कमी है। 12 की जगह 8 डॉक्टर ही पदस्थापित हैं। लिहाजा रोगियों को इलाज कराने में दिक्कत होती है। यहां भी 30 बेड की व्यवस्था है।

      ओपीडी में हर दिन सौ से लेकर सवा सौ रोगी इलाज के लिए आते हैं। यहां रोगियों को एक्सरे सेवा, विभिन्न तरह की जांच, एंबुलेंस की सुविधाएं एवं जीवनरक्षक दवाइयां दी जा रही हैं। सीएचसी प्रभारी के अनुसार डॉक्टरों का अभाव है। डॉक्टरों के रिक्त पदों की जानकारी वरीय पदाधिकारी को दी गयी है।

      एकंगरसराय सीएचसी में सिर्फ 5 डॉक्टरः एकंगरसराय पीएचसी भी अब सीएचसी के रूप में काम कर रहा है। इस अस्पताल की चिकित्सा व्यवस्था 5 डॉक्टरों के सहारे ही संचालित हो रही है।

      यहां 30 बेड की व्यवस्था हैं। ओपीडी में हर दिन करीब डेढ़ सौ रोगी इलाज के लिए आते हैं। स्वास्थ्य प्रबंधक के अनुसार यहां रोगियों को मुफ्त एक्सरे, जांच, एंबुलेंस एवं जीवनरक्षक दवाइयां मुहैया करायी जा रही हैं।

      रहुई सीएचसी में भी संसाधन की किल्लतः रहुई सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी डॉक्टरों की कमी है। यहां 30 बेड तो जरूर हैं। लेकिन यहां 5 डॉक्टरों के सहारे ही रोगियों को चिकित्सा सेवा उपलब्ध करायी जा रही है।

      यहां एक दंत डॉक्टर भी तैनात हैं। लैब में विभिन्न तरह की जांच सुविधाएं दी जा रही हैं। प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी के अनुसार उपलब्ध संसाधनों से रोगियों को चिकित्सा सेवा प्रदान की जा रही है। गिरियक सीएचसी की भी कमोबेश यही स्थिति है। यहां भी डॉक्टरों की कमी है।

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