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थानेदार बने मसीहा: बेहोश युवक को खुद स्ट्रेचर खींचकर पहुंचाया इमरजेंसी वार्ड

बिहारशरीफ सदर अस्पताल की लापरवाही ने एक बार फिर मानवता को झकझोरा

बिहारशरीफ (नालंदा दर्पण)। बिहारशरीफ सदर अस्पताल प्रशासन की असंवेदनशीलता और कर्तव्यहीनता उस समय एक बार फिर उजागर हो उठा, जब लहेरी थानेदार रंजीत कुमार रजक को एक ऐसी विषम परिस्थिति का सामना करना पड़ा, जिसकी कल्पना तक नहीं की जा सकती है।

दरअसल, रामचंद्रपुर बस स्टैंड पर एक अज्ञात युवक बेहोशी की हालत में गिरा हुआ पाया गया। सूचना मिलने पर लहेरी थानाध्यक्ष तुरंत मौके पर पहुंचे और युवक को अपने वाहन से बिहारशरीफ सदर अस्पताल लाए।

अस्पताल पहुंचने पर उन्हें यह उम्मीद थी कि स्वास्थ्यकर्मी और गार्ड मदद के लिए तत्पर होंगे, लेकिन इसके उलट किसी ने भी सहायता के लिए हाथ नहीं बढ़ाया। बार-बार बुलाने पर भी अस्पताल कर्मचारी बाहर नहीं आए। ऐसे में लहेरी थानाध्यक्ष को खुद स्ट्रेचर खींचकर बेहोश युवक को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कराना पड़ा।

भीड़ देखते रही, कर्मी बने मूकदर्शकः जब यह घटना घटी तो अस्पताल परिसर में मरीजों और उनके परिजनों की भारी भीड़ मौजूद थी। बावजूद इसके न तो सुरक्षा गार्ड और न ही वार्ड ब्वॉय ने सहायता करने की जहमत उठाई। इस दौरान स्वास्थ्यकर्मी और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारी या तो आराम फरमा रहे थे या अपनी ड्यूटी से बेखबर नजर आए।

स्थानीय लोगों ने अस्पताल प्रशासन की इस लापरवाही पर कड़ी नाराजगी जताई। सोहसराय निवासी सुधीर कुमार ने कहा, ‘यहां गार्ड मदद के बजाय सुविधा शुल्क वसूलने में व्यस्त रहते हैं। मरीजों के प्रति कोई संवेदनशीलता नहीं है।

जिला स्वास्थ्य समिति करेगी कार्रवाईः घटना पर प्रतिक्रिया देते हुए जिला स्वास्थ्य समिति के डीपीएम श्याम कुमार निर्मल ने कहा कि थानाध्यक्ष यदि लिखित शिकायत करते हैं तो मामले की जांच की जाएगी। दोषी कर्मचारियों पर सख्त कार्रवाई होगी। हालांकि डीपीएम की यह वेशर्मी ही कही जाएगी कि एक थानेदार को इस तरह की सार्वजनिक तस्वीरें सामने आने के बाद भी उन्हें लिखित में देनी होगी?

युवक की स्थिति गंभीर, पहचान नहीं हुईः बेहोश युवक की अब तक पहचान नहीं हो पाई है। थानाध्यक्ष ने बताया कि युवक की स्थिति गंभीर थी और समय पर इलाज शुरू होने से उसकी जान बचाई जा सकी।

समाज के लिए संदेशः यह घटना मानवता और जिम्मेदारी की एक मिसाल बन गई है। लेकिन साथ ही यह अस्पताल प्रशासन और स्वास्थ्य सेवाओं की खामियों को उजागर करती है। सवाल यह उठता है कि जब दिन के 11 बजे यह हाल है तो रात में मरीजों का क्या होता होगा? वेशक सदर अस्पताल की व्यवस्था में सुधार की जरूरत है। ताकि भविष्य में इस तरह की घटनाएं न हों और मरीजों को सही समय पर मदद मिल सके।

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